भिवानी । आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खरीद शुरू होने के 10 दिन बाद भी ना के बराबर सरसों ही मंडियों में पहुंच रही है, जबकि 50 प्रतिशत से अधिक सरसों सीधे मिलों तक पहुंच रही है. इससे मंडी समिति को फीस के रूप में सरकार को 3.5 करोड़ और आढ़तियों को साढ़े नौ करोड़ का नुकसान होगा.इस बार जिले में दो लाख एकड़ जमीन में सरसों की बुवाई हुई है. जिले में प्रति एकड़ औसतन 6 क्विंटल सरसों का उत्पादन हुआ है.
25 फीसदी सरसों ही पहुंच रही है
दइस हिसाब से इस बार 12 लाख क्विंटल सरसों का उत्पादन होगा. किसान हर साल 25 प्रतिशत सरसों का स्टॉक करते हैं. यानी 3 लाख क्विंटल सरसों के किसान ज्यादा दाम पाने के लिए घर में ही रहेंगे. इस हिसाब से करीब 9 लाख क्विंटल सरसों अनाज मंडियों में बिक्री के लिए पहुंचनी चाहिए. हैरानी की बात यह है कि अनाज मंडियों में सिर्फ 25 फीसदी सरसों ही पहुंच रही है.
भिवानी अनाज मंडी में उम्मीद के मुताबिक पहंच रही सरसों
बता दें कि तशाम, जुई, बहल आदि मंडियों में सरसों के सारे दाने खुले हैं लेकिन बिक्री के लिए नहीं पहुंचे हैं. इससे अब तक करीब ढाई लाख क्विंटल सरसों ही खुली बोली पर मंडियों में बिकी है. लाहरू अनाज मंडियों में भी सरसों की थोड़ी मात्रा ही बिक्री के लिए पहुंच रही है. हालांकि सरसों भिवानी अनाज मंडी में उम्मीद के मुताबिक पहुंच रही है. इस तरह सरकार को होगा करोड़ों रुपये का पेटी: जिले में इस बार करीब 12 लाख क्विंटल सरसों का उत्पादन हुआ है. इसमें से तीन लाख क्विंटल सरसों मंडियों में पहुंचेगी जबकि औसतन तीन लाख क्विंटल का स्टॉक है.
बाकी 6 लाख क्विंटल सरसों मंडी शुल्क लगाकर सीधे मिलों में जा रही है. जिले में इस समय सरसों का भाव 6,300 रुपये प्रति क्विंटल है. इस हिसाब से 6 लाख क्विंटल सरसों पर एक प्रतिशत बाजार शुल्क के रूप में सरकार को करीब 3 करोड़ 78 लाख रुपये का नुकसान होगा.इसी तरह अनाज मंडियों में भी करीब एक करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान होगा. ढाई प्रतिशत आढ़तियों की दलाली के रूप में साढ़े नौ करोड़ है.
इसलिए खेत में ही बेच रहे हैं सरसों की पेटियां
फिलहाल तेल मिल मालिक अनाज मंडियों में सरसों को 6100 रुपये से 6400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रहे हैं.जबकि गांव व खेतों के तेल मालिक दलालों के माध्यम से सरसों को 6300 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक खरीद रहे हैं. मंडी में सरसों की बिक्री के लिए किसान को प्रति क्विंटल अतिरिक्त कीमत भी चुकानी पड़ती है. इसके अलावा 700 से 1000 रुपये प्रति ट्रैक्टर ट्रॉली का किराया देना होता है. इसलिए किसान अपने खेत या घर पर ही दलालों को सरसों के बीज बेचना उचित समझ रहे हैं.
ऐसे चल रहा है जिले में सरसों घोटाले का खेत
जानकारी के मुताबिक तेल मिल मालिकों के गांव-गांव में दलाल सक्रिय हैं. वे किसानों से संपर्क करते हैं और सरसों की कीमत चेक कर उन्हें बाजार से ज्यादा दाम देने का लालच दे रहे हैं.इसलिए किसान मंडी की जगह सरसों से भरी ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर किसान सीधे संबंधित मिल तक पहुंच रहे हैं.इसके साथ ही किसानों को बाजार में कूपन काटने और खुली बोली पर सरसों के बीज बेचने के खर्च से भी बचाया जा रहा है. मंडी समिति के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से जिले के तेल मिल मालिक सरसों घोटाले का पूरा खेल रच रहे हैं. क्योंकि कहने को तो मंडी समिति की ओर से मिलावट की जाती है, लेकिन कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया गया है ताकि सरसों सीधे मिलों तक न पहुंचे. लेकिन मंडी समिति के अधिकारी-कर्मचारी खुद मिल मालिकों से मिलकर फीस के रूप में सरकार से करोड़ों रुपये ठग रहे हैं.
सरसों सीधे मिलों में पहुंच रही है और मंडी समिति दावा कर रही है कि मजदूर मिलों में ड्यूटी पर हैं, ताकि सरसों सीधे मिलों तक न पहुंचे, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सरसों मंडियों में बिक्री के लिए नहीं पहुंची है. इससे साफ है कि सरसों सीधे मिलों तक पहुंच रही है।
प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की
सरसों सीधे तेल मिलों तक पहुंच रही है, लेकिन अधिकारियों ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. सीधे मिलों में सरसों पहुंचने के बाद भी किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है.इससे साफ है कि इस घोटाले में कहीं न कहीं प्रशासनिक अधिकारियों की आम सहमति हो सकती है.
मिलों की चौकसी और बढ़ाई जाएगी : बाजार सचिव
मंडी समिति सचिव हीरालाल ने बताया कि वह व अन्य कर्मचारी दिन-रात मिश्रण की जांच कर रहे हैं, भले ही वह बिना किसी शुल्क के सरसों खरीद रहे हैं. उससे पेनल्टी समेत फीस वसूली जा रही है। अब तक करीब 1200 क्विंटल सरसों अपने-अपने क्षेत्र में पकड़ी जा चुकी है.उनसे जुर्माना सहित फीस वसूल की गई है. फिर भी अगर ऐसा कुछ होता है तो मिलों पर चौकसी बढ़ा दी जाएगी, हालांकि हम पहले ही मिलों में मजदूरों की प्रतिनियुक्ति कर चुके हैं.रिकॉर्ड के मुताबिक अकेले भिवानी अनाज मंडी में अब तक एक लाख क्विंटल सरसों की बिक्री हो चुकी है.
प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा खेल : सुभाष
कच्चा आढ़ती एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुभाष मित्तल ने कहा कि ज्यादातर सरसों सीधे मिलों में जा रही है, जिससे मंडी आढ़तियों को अपना कमीशन गंवाना पड़ रहा है, जबकि सरकार को फीस भी नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि यह सारा खेल प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है. मंडियों को नष्ट किया जा रहा हैं सिर्फ दिखावे के लिए, मिलों पर नजर रखने के लिए टीमें बनाई जा रही हैं, लेकिन सरसों सीधे माचिस में जा रही है और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!