नई दिल्ली | शेयर बाजार में दिन- प्रतिदिन बदलाव देखने को मिलता है. कभी शेयर बाजार में आई तेजी निवेशकों को खुश कर देती है तो गिरावट की वजह से निवेशकों की परेशानियां भी बढ़ा देती है. अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक व सिग्नेचर बैंक अचानक बंद हो गए. फर्स्ट रिपब्लिक बैंक की माली हालत भी अच्छी नहीं है. दूसरी तरफ स्विजरलैंड की इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी क्रेडिट सुईस कमजोर हालत का सामना कर रही है. दुनिया भर के शेयर बाजारों में इन घटनाक्रम का असर दिखाई दे रहा है.
इन बैंकों ने किया दुनिया भर के शेयर बाजारों को प्रभावित
भारतीय निवेशक भी कन्फ्यूजन की स्थिति में बने हुए हैं कि वह किस प्रकार की रणनीति अपनाएं. अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम में उथल- पुथल की वजह से अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढाना बंद कर दे, ऐसा भी हो सकता है. यदि ऐसा ही जारी रहा तो इक्विटी मार्केट में गिरावट अब थम सकती है, फिर से तेजी भी लौट सकती है.
ऐसे में दुनिया भर के निवेशक फिर शेयर बाजार की तरफ रुख करना शुरू कर देंगे. इसका एक हिस्सा भारत जैसे बाजारों में भी आना चाहिए. मौजूदा समय में बाजार में काफी उतार- चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं.
इन जरूरी बातों का रखें ध्यान
- अपने कुल निवेश में इक्विटी पोर्टफोलियो का प्रतिशत देखे. यदि यह 20 या 30 परसेंट से कम है तो आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. ऐसे में आपको घटे हुए दाम का लाभ उठाना चाहिए और 6 से 12 महीनों में धीरे- धीरे अच्छे शेयर खरीदने चाहिए. साथ ही, आप इक्विटी फंड में भी अपना निवेश बढ़ा सकते हैं.
- 1999 से अब तक कभी भी निफ्टी- 50 में 5 साल या इससे ज्यादा समय के निवेश से नुकसान नहीं हुआ है. निफ्टी के शेयरों में 10 साल तक के निवेश से 60% मौकों पर 15 परसेंट से ज्यादा रिटर्न मिला है, इसलिए इक्विटी पोर्टफोलियो के 2 साल के कमजोर प्रदर्शन को देखकर आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है.
- पोर्टफोलियो में इक्विटी के अलावा, दूसरे ऐसेट क्लास भी होने चाहिए. रियल एस्टेट, पीपीएफ, बैंक डिपॉजिट, सोना और इनमें शामिल है. यदि ऐसा है तो आपको सिर्फ वैसे शेयरों की जगह नए शेयर खरीदने चाहिए, जो लंबे समय से आपको रिटर्न नहीं दे पा रहे हैं.