नई दिल्ली | हमारे देश के उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों से संबंधित एक बड़ा फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के अनुसार, सरकारी भर्तियों के नियमों में बीच में बदलाव नहीं हो सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को कहा है कि सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के नियमों में तब तक बीच में बदलाव नहीं किया जा सकता, जब तक कि ऐसा तय न किया गया हो.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत आवेदन आमंत्रित करने वाले विज्ञापन से होती है और रिक्तियों को भरने के साथ खत्म होती है.
भर्ती प्रक्रिया के बीच में नहीं बदल सकते नियम
पीठ ने कहा, ‘भर्ती प्रक्रिया के शुरू में अधिसूचित सूची में दर्ज पात्रता मानदंड को भर्ती प्रक्रिया के बीच में तब तक नहीं बदला जा सकता जब तक कि मौजूदा नियम इसकी अनुमति न दें या विज्ञापन मौजूदा नियमों के विपरीत न हो.’ पीठ में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे.
सबने सर्वसम्मति से बताया कि अगर मौजूदा नियमों या विज्ञापन के तहत मानदंडों में बदलाव की आज्ञा है, तो इन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुरूप होना चाहिए, मनमाना नहीं. पीठ ने कहा कि वैधानिक शक्ति वाले मौजूदा नियम, प्रक्रिया और पात्रता दोनों के बारे में भर्ती निकायों पर बाध्यकारी हैं.
रिक्त पद को न भरने का चुन सकते है विकल्प
पीठ ने कहा ‘चयन सूची में स्थान मिलने से नियुक्ति का कोई अपरिहार्य अधिकार नहीं मिल जाता. राज्य या उसकी संस्थाएं वास्तविक कारणों से खाली पद को न भरने का ऑप्शन चुन सकती हैं.’ हालांकि, पीठ ने साफ किया कि अगर वेकन्सी उपलब्ध हैं, तो राज्य या उसकी संस्थाएं मनमाने ढंग से उन व्यक्तियों को नियुक्ति देने से मना नहीं कर सकती जो चयन सूची में विचाराधीन हैं.
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