चंडीगढ़ | गत 17 सितंबर को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) की तरफ से ग्रुप C और D के लगभग 24,000 पदों का परिणाम जारी किया गया है. राज्य में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 24 हजार पदों का रिजल्ट घोषित किए जाने के बाद अब आयोग एक बार फिर से दिसंबर तक CET परीक्षा आयोजित करने की तैयारी में जुट चुका है.
CET के आयोजन से पहले पॉलिसी में बदलाव कर सामाजिक- आर्थिक आधार के अंक समाप्त किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त, मुख्य परीक्षा के लिए पदों की तुलना में 4 गुणा अभ्यर्थियों को बुलाने के अपेक्षा 7 गुणा अभ्यर्थियों को मौका देने का विचार है.
ऐसे तैयार किया गया रिजल्ट
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरकारी नौकरियों की भर्ती के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा शुरू करते हुए एक लाख 80 हजार से कम वार्षिक आय वाले परिवारों और जिन युवाओं के माता-पिता नहीं है, उन्हें सामाजिक- आर्थिक आधार पर ढाई से 5 अंक देने की व्यवस्था शुरू की थी.
यह मामला हाई कोर्ट में चला गया, जिसके बाद अदालत ने सामाजिक- आर्थिक आधार के अंको को संविधान के विरुद्ध बताते हुए इन्हें ख़ारिज कर दिया. अबकी बार भी परीक्षार्थियों का रिजल्ट बिना सामाजिक आर्थिक मानदंड के अंकों के तैयार किया गया है.
7 गुना अभ्यर्थियों को बुलाने पर किया जा रहा विचार
हई कोर्ट के फैसले के बाद अब सरकार सीईटी के नियमों में संशोधन कर आर्थिक सामाजिक आधार के अंक हटाने जा रही है. बड़ी संख्या में युवाओं ने CET की मुख्य परीक्षा में पदों की तुलना में केवल 4 गुणा अभ्यर्थियों को शामिल करने के निर्णय को भी हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है. इसके चलते प्रदेश सरकार अब पदों की तुलना में 7 गुणा अभ्यर्थियों को बुलाने पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जल्द ही आयोग के अधिकारियों की बैठक बुलाने वाले हैं, जिसमें भर्ती के नियमों में बदलाव पर मुहर लग सकती है.
योग्यताओं के लिए अलग से हो परीक्षा
उम्मीदवारों की तरफ से लंबे समय से मांग की जा रही है कि सामान्य पात्रता परीक्षा की प्रक्रिया में बदलाव किया जाए. उनका तर्क है कि ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों के लिए अलग- अलग योग्यताओं के आधार पर परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए. तकनीकी पदों के लिए भी अलग सीईटी की जरूरत जताई गई है.
अभ्यर्थियों का कहना है कि एक समान पदों के लिए समान योग्यता का टेस्ट हो, ताकि सभी को समान मौका मिल पाये. राज्य सरकार की योजना हर साल सीईटी कराने की है, ताकि बारहवीं पास कर चुके सभी युवा भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो पाए. पिछले 3 सालों से सीईटी नहीं होने की वजह से लाखों युवा इस प्रक्रिया से बाहर हो गए थे, जो तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाये थे.
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