नई दिल्ली| प्रदेश भर में 20 हजार से ज्यादा टीईटी TET पास अभ्यर्थी है जिनकी उम्र शिक्षक रोज़गार के लिए अब मान्य नहीं होती है.अब इन परीक्षारथियों के लिए शिक्षक जैसे रोज़गार में जाना व अपना शिक्षण प्रदान करना संभव नहीं है.
ऐसा लगता है, सरकार ने टी ई टी की सात साल की वैध अवधी को खत्म कर पुरी उम्र के लिए टीईटी प्रमाण पत्र को मान्य कर तो दिया है किन्तु इसका लाभ केवल उन अभ्यर्थियों को ही होगा जिनकी उम्र अभी भी रोज़गार के लिए बची हुई है.
बिहार सरकार का टीईटी की ओर रुख
बिहार सरकार की अनुसार एक शिक्षक के रोज़गार के लिए जनरल कैटेगरी के इच्छुक लोगों की आयु सीमा 37 वर्ष तक नियमित की जानी चाहिए. साथ ही ओ बी सी कैटेगरी के लिए 42 साल व एससी और एसटी श्रेणी के लोगों के लिए 45 साल की उम्र तय करनी चाहिए.
हर साल नहीं होती परीक्षा राज्य सरकार के द्वारा अगर इस परिक्षा की प्रति वर्ष सेवा निर्विती की प्रक्रिया को दुरुस्त रखने में सक्षम रहती, तब आज 20 हजार अभ्यर्थियों को भी शिक्षक बनने का सुनहरा मौका हसिल हो सकता था.
सूत्रों द्वारा हासिल जानकारी के मुताबिक अभी तक केवल पांच बार ही नियोजन हुआ है, ऐसा न होकर प्रति वर्ष नियोजन किया जाना चाहिए. इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए क्योंकि हजारों अभ्यर्थी टी ई टी पास करने के बाद भी अब नियोजन का हिस्सा नहीं बन सकते हैं.
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