चंडीगढ़ | हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) अगले CET को आयोजित करने की तैयारी में जुट चुका है. इससे पहले इसमें कुछ संशोधन होने हैं. इसी के चलते मंगलवार को मीटिंग का आयोजन हुआ. बैठक के दौरान HSSC ने प्रदेश सरकार से कहा है कि सीईटी क्वालीफाई होना चाहिए. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई बैठक में सीईटी संशोधन पर चर्चा की गई.
HSSC ने मुख्यमंत्री को बताई समस्याएं
अभी सीईटी में संशोधन पर अंतिम फैसला होना है, लेकिन आयोग ने मुख्यमंत्री को उन समस्याओं की जानकारी दी, जो सीईटी लागू करते समय आयोग के सामने आई थी. मीटिंग में एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी, प्रधान सचिव विजेंद्र कुमार, विशेष सचिव डॉ. आदित्य दहिया और आयोग के सचिव विनय कुमार भी मौजूद रहें. आयोग की ओर से जानकारी दी गई कि भले ही सीईटी में चार गुना उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने का प्रावधान है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो पा रहा है.
लाखो युवा कर रहे परीक्षा का इंतजार
एक- एक उम्मीदवार कई- कई बार शॉर्टलिस्ट हो रहा है. अभी कानूनी पहलुओं पर चर्चा हुई है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को मौका मिलना चाहिए, पर अभी इस पर फाइनल निर्णय होना शेष है. अभी तक आयोग की तरफ से एक ही CET आयोजित करवाया गया है. ऐसे में प्रदेश के लाखों युवा जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं वह परीक्षा के इंतजार में है. ग्रुप C और ग्रुप D के सरकारी पदों की भर्ती के लिए सीईटी अनिवार्य है मगर यह अभी तक एक- एक बार हो पाया है. लाखों युवा सीईटी का इंतजार कर रहे हैं.
हटेंगे सामाजिक आर्थिक मानदंड के अंक
हरियाणा सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग को आगामी 31 दिसंबर तक सीईटी आयोजित कराने के लिए आदेश दिया हुआ है, मगर उससे पहले सीईटी संशोधित होना है, जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई बैठक में हो चुकी है. सामाजिक- आर्थिक मानदंड के अंक सीईटी पॉलिसी से हटाए जाने है क्योंकि हाईकोर्ट ने उन अंकों को असंवैधानिक करार दिया हुआ है.
अभी सीईटी पॉलिसी के अनुसार, उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग कैटेगरी और पद अनुसार की जा रही है. आयोग ने जानकारी दी कि सीईटी पॉलिसी के अनुसार शॉर्टलिस्टिंग के बारे में एक मुद्दा ये चल रहा है कि रिक्तियों को समूह- वार या पद- वार लिया जाना है या नहीं. यह भी उम्मीदवारों के लिए काफी समस्या भरा है और उन्होंने इस बारे में उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट तक भी गए थे.
आरक्षण भी है एक मुद्दा
सीईटी पॉलिसी के मुताबिक, उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग करते वक़्त आरक्षण कैटेगरी अनुसार दिया जा रहा है. वास्तव में आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है. आयोग ने जानकारी दी कि इससे असामान्य स्थिति बन रही है, जिसमें कई बार आरक्षित श्रेणी की कट ऑफ सामान्य श्रेणी की कटऑफ से ज्यादा हो जाती है. इसका हल सीईटी को क्वालीफाइंग बनाकर ही किया जा सकता है.
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