चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग में हरियाणा के 3 वैज्ञानिकों का रहा अहम रोल, यहां पढ़ें पूरा बायोडाटा

चंडीगढ़ | चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद भारत में जश्न मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसके लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी है. भारत दुनिया के उन चार देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की है. साथ ही, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. हरियाणा के 3 लोगों का भी इस प्रोजेक्ट में हाथ रहा है. सीएम मनोहर लाल ने भी ट्वीट कर तीनों को बधाई दी है. आईए जानते हैं वह तीनों लोग के बार में जिन्होंने इस प्रोजेक्ट में विशेष भूमिका निभाई है…

Chandrayaan 3

सीएम मनोहर मनोहर लाल ने किया ट्वीट

आपको बता दें कि चंद्रयान- 3 को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज ट्वीट किया कि ”चंद्रयान- 3 की ऐतिहासिक सफलता में हरियाणा की 3 प्रतिभाओं की कड़ी मेहनत और योगदान के रूप में एक और खुशी जुड़ गई है. सफल लैंडिंग में चंद्रयान के विक्रम लैंडर की कंट्रोल यूनिट की जिम्मेदारी संभाल रहीं हरियाणा की बेटी आरुषि सेठ, इसरो साइंटिस्ट इंजीनियर के तौर पर प्रोजेक्ट टीम में शामिल रहे हिसार के यज्ञ मलिक और भिवानी के देवेश ओला ने हम सबको गौरवान्वित किया ह. मैं बधाई देता हूं आप सभी को और आपके पूरे परिवार और आप सभी को शुभकामनाएं.”

अंबाला की आरुषि सेठ

बुधवार को जब चंद्रयान- 3 की लैंडिंग की उल्टी गिनती शुरू हुई तो इसरो से आरुषि सेठ ही देश को कार्यक्रम के बारे में बता रही थीं. दरअसल, आरुषि सेठ का हरियाणा के अंबाला से गहरा नाता है. मूल रूप से हैदराबाद की रहने वाली आरुषि सेठ की शादी अंबाला के सेक्टर- 9 निवासी सिद्धार्थ शर्मा से हुई है. थंबाड सिद्धार्थ का पैतृक गांव है. ऐसे में जैसे ही चंद्रयान चांद की धरती पर उतरा, थंबाड गांव और आरुषि के ससुराल वालों में खुशी की लहर दौड़ गई.

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सिद्धार्थ के भाई अंबाला के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी शशिकांत शर्मा बताते हैं कि सिद्धार्थ के पिता डॉ. सुरेंद्र प्रकाश शर्मा उनके चाचा हैं जो कि कैथल में सेवानिवृत्त जिला आयुर्वेदिक अधिकारी हैं. अब अंबाला के सेक्टर 9 में रहते हैं. उन्होंने बताया कि सिद्धार्थ और आरुषि ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IIST) से पढ़ाई की है. इसके बाद, आरुषि इसरो में अंतरिक्ष वैज्ञानिक बन गईं. सिद्धार्थ फिलहाल अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाली निजी क्षेत्र की कंपनी आईआईएसटी में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि सिद्धार्थ ने बराड़ा के डीएवी स्कूल से पढ़ाई की.

पढ़ाई के दौरान आरुषि की सिद्धार्थ से हुई मुलाकात

आरुषि के पिता अजय कुमार सेना में आंखों के डॉक्टर थे जबकि मां डॉ. संगीता स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. वह मूल रूप से हैदराबाद की रहने वाली हैं लेकिन अब आरुषि के माता- पिता गुरुग्राम में रहते हैं. अंतरिक्ष वैज्ञानिक आरुषि और सिद्धार्थ की मुलाकात आईआईएसटी में एक साथ पढ़ाई के दौरान हुई थी. इसके बाद, दोनों ने शादी करने का फैसला किया और दोनों अंबाला शहर में शादी के बंधन में बंध गए. अब दोनों बेंगलुरु में रहते हैं. उन्हें अम्बाला से विशेष लगाव है और वे अक्सर अम्बाला आते रहते हैं.

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चंद्रयान- 3 का हिस्सा बना हिसार का बेटा

चंद्रयान- 3 का हिस्सा रहे हिसार निवासी इसरो इंजीनियर यज्ञ मलिक ने कहा कि चंद्रयान- 3 की सॉफ्ट लैंडिंग सबसे बड़ी चुनौती थी. पिछली बार की गलतियों को दूर करके हर छोटी से छोटी बात को सुधारा गया है. ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त माह में भारत विश्व का चौथा देश बन जायेगा. इस खास दिन के लिए हमने पिछले दो साल से दिन- रात मेहनत की है. शनिवार- रविवार को भी काम करते थे.

हिसार के जीजेयू कर्मचारी मुनीष मलिक का बेटा यज्ञ मलिक चंद्रयान- 3 का हिस्सा बन गया है. अपने घर हिसार पहुंचे यज्ञ मलिक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पहले मैं डीआरडीओ में तैनात था. मुझे चंद्रयान 3 के लिए इसरो में शामिल किया गया था, हमें जीवन में वैज्ञानिक उन्नति देनी है. विज्ञान को कैसे आगे बढ़ाया जाए इस पर निरंतर शोध की आवश्यकता है. हम अन्य देशों की तुलना में बहुत कम बजट में अपने चंद्रयान मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं. चंद्रयान- 3 प्रोजेक्ट में सरकार ने काफी मदद की. प्रधानमंत्री का भी विशेष योगदान रहा.

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मिशन अंतरिक्ष को लेकर भारत के पास कई कार्यक्रम हैं. नासा के बाद अब हमारा इसरो बहुत आगे निकल चुका है. अब छात्र विज्ञान में आगे आ रहे हैं. हमारे दस साल के बच्चों को भी अंतरिक्ष विज्ञान का ज्ञान है. वैज्ञानिक बनने के लिए चीजों को समझना जरूरी है. इसरो में नौकरियों के लिए भी आवेदन आते रहते हैं.

भिवानी का देवेश

बुधवार शाम चंद्रयान- 3 की सफल लैंडिंग पर हरियाणा के भिवानी जिले के बड़सी जाटान गांव में जश्न मनाया गया. वैज्ञानिक देवेश ओला के परिजनों ने खुशी जताई. इस मिशन में गांव बड़सी जाटान के देवेश ओला का बहुत बड़ा योगदान है. देवेश ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 मिशन में कड़ी मेहनत की है.

करीब एक महीने पहले Chandrayaan 3 का सफल परीक्षण किया गया था. इसमें देवेश ने कई पहलुओं पर काम किया. देवेश ओला की इस शानदार उपलब्धि पर उनके ग्रामीण, परिजन और शुभचिंतक फूले नहीं समा रहे हैं. हैदराबाद में रहने वाले देवेश के पिता सज्जन कुमार ओला और मां सुशील देवी ने भी जश्न मनाया. उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ हमारे लिए बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. वैज्ञानिकों की अथक मेहनत के कारण ही हम इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. वहीं, देवेश के छोटे भाई विकास भी पहले इसरो में काम कर चुके हैं.

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