पंजाब के बाद हरियाणा कांग्रेस में भी नेतृत्व परिवर्तन की संभावना बढ़ी, इस फॉर्मूले के तहत आगे बढ़ सकती हैं कांग्रेस

चंडीगढ़।पंजाब कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलने के बाद हरियाणा कांग्रेस में भी बदलाव की चिंगारी भड़क उठी है. हालांकि हरियाणा में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया जारी है लेकिन जिस तरह से पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर विधायक राजा वडिंग की नियुक्ति की गई है, उसे देखकर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि हरियाणा में भी नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है.

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ऐसी चर्चाएं जोरों पर है कि हरियाणा व राजस्थान में नए प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी एक साथ ही सौंपी जा सकती हैं. हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बदलाव की अटकलें प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा (Kumari Selja) और पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) के अलग-अलग बयानों से भी तेज हुई हैं.

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हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि अध्यक्ष पद के लिए न तो मैं दावेदार हूं और न ही मेरा बेटा दीपेंद्र दावेदार है, लेकिन यदि विधायक व पार्टी कार्यकर्ता बदलाव की मांग उठा रहे हैं तो कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को इस पर विचार करना चाहिए. भुपेंद्र हुड्डा की बात पर पलटवार करते हुए कुमारी शैलजा ने कहा है कि उन्हें कुर्सी से कोई लगाव नहीं है. वह जन्मजात कांग्रेसी हैं, कांग्रेसी थी और कांग्रेसी ही रहेंगी.

हुड्डा समर्थित खेमा कह रहा है कि हरियाणा में पिछले आठ साल से कांग्रेस का संगठन नहीं है और संगठन के अभाव में कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन ठीक ढंग से नहीं कर पा रहे हैं. वहीं संगठन खड़ा करने को लेकर कुमारी शैलजा का कहना है कि संगठन बनाने की प्रक्रिया जारी है और हमारे पास ऐसे तमाम कार्यकर्ताओं की फौज है, जो बिना संगठन के भी लोगों के बीच धरातल पर जाकर पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं.

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हालांकि 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले जब कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उस समय हुड्डा और शैलजा के रिश्तों में कोई खटास नहीं थी लेकिन चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर दोनों के बीच जमकर खींचतान देखने को मिली. हुड्डा ने सीधे-सीधे कुमारी शैलजा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि करीब आधा दर्जन उम्मीदवार ऐसे थे जिनकी टिकट कटने की वजह कुमारी शैलजा थी. हुड्डा ने दावा करते हुए कहा था कि यदि वह टिकट उन्हें मिल गई होती तो वह जीतते और हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती.

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नियमानुसार जुलाई-अगस्त में प्रदेश अध्यक्ष का चयन संभव है, लेकिन जिस तरह संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया के बीच पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति की गई है, उसे देखकर लग रहा है कि हरियाणा में भी चुनाव की औपचारिकता से पहले संगठन में बदलाव की संभावना बढ़ गई है.

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