अंबाला-शामली हाईवे: 750 हेक्टेयर जमीन होगी अधिग्रहित, किसानों द्वारा जताई ये आपत्ति

चंडीगढ़ | हरियाणा के प्रमुख इलाके से यूपी को जोड़ने वाले अंबाला-शामली इकोनामिक कॉरिडोर के निर्माण के लिए कुल 7966 पेड़ों को काटा जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि यह हाईवे भारतमाला परियोजना के तहत बनाया जाना है. हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच बनने वाला यह छह लेन का हाईवे होगा. इसके साथ ही शामली-अंबाला हाईवे के निर्माण कार्य के दौरान 750 हेक्टेयर से ज्यादा कृषि योग्य भूमि को भी अधिकृत किया जाएगा. इस कोरिडोर के रास्ते में पड़ने वाली 140 इमारतों को भी तोड़ा जाएगा. बता दें कि 3660 करोड़ की लागत से यह प्रोजेक्ट पूरा होगा. इस प्रोजेक्ट के साल 2024 तक पूरे होने के आसार हैं.

Fourlane Highway

इस हाइवे के निर्माण के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने जो प्रपोजल तैयार किया है. उसमें जानकारी दी गई है कि इस प्रोजेक्ट के तहत दोनों राज्यों कि लगभग 7.5 हेक्टेयर वन भूमि को अधिकृत किया जाएगा. इसके साथ ही हाईवे निर्माण के लिए कुल 7966 पेड़ों को भी काटा जाना है. इनमें से ढाई सौ पेड़ संरक्षित भूमि पर है. जबकि बाकी बचे 7716 पेड़ निजी कृषि जमीन पर है.

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जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा में यह हाईवे अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और करनाल जिले के सैकड़ों गांव से होकर गुजरेगा. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और शामली जिले में भी दाखिल होगा. बता दें कि करनाल जिले के चंद्रोन गांव के नजदीक यमुना नदी के ऊपर से एक पुल का निर्माण भी किया जाएगा. सड़क के इस प्रमुख प्रोजेक्ट के अंतर्गत दो रेलवे ओवरब्रिज, 16 छोटे पूल, 31 अंडर पास और 7 इंटरचेंज भी है. इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने जानकारी दी कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर लेने के बाद इस पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा.

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किसानों ने जताई ये आपत्ति

इस हाईवे के निर्माण के लिए मार्किंग का काम पहले ही पूरा हो चुका है. जिन जगहों को चिन्हित किया गया है, वहां की जमीन के अधिग्रहण का कार्य चालू है. ऐसी संभावना है कि इसी साल अप्रैल महीने से यहां मिट्टी भरने का कार्य शुरू हो जाएगा. हाईवे के निकट जिन किसानों की जमीन है उनका कहना है कि इससे उनकी जमीन दो हिस्सों में बट जाएगी. इसके साथ ही उन्हें अपने खेतों तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर रोजाना अधिक सफर तय करना होगा.

ग्रामीण किसानों का कहना है कि मार्किंग करने के बाद पता चला है कि 60 मीटर चौड़ाई पर कई खंभे लगाए हैं. लेकिन उन्हें अब पता चला कि सरकार एक हाईवे का निर्माण करेगी. इस हाईवे की वजह से उनके गांव और खेत दोनों अलग-अलग बट जाएंगे. ग्रामीण किसान मनोज कुमार का कहना है कि उसकी भी 3 एकड़ भूमि इस हाइवे निर्माण के लिए अधिकृत की गई है.

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हाईवे निर्माण के लिए 140 ईमारते होंगी ध्वस्त

जानकारी के लिए बता दें कि इस हाइवे निर्माण के लिए 140 इमारतों को ध्वस्त किया जाना है. अधिकारियों की मानें तो इनमें से ज्यादा इमारतें छोटे ट्यूबवेल और फार्म हाउस है. हाईवे के रास्ते में रिहायशी इलाका नहीं है, अंबाला में एनएचआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वीरेंद्र सिंह का कहना है कि हरियाणा के तराई क्षेत्र में अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया गया है और इस कार्य के मार्च तक पूरे होने के आसार है. जबकि उत्तर प्रदेश में काम आगे बढ़ चका हैं और शामली तथा सहारनपुर जिले में जमीन पर शुरुआती काम पूरा हो चुका है. जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद जल्द ही टेंडर भी निकाले जाएंगे.

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