बसताड़ा टोल प्रकरण खत्म, सरकार और किसानों के बीच इन बातों पर हुआ था समझौता

चंडीगढ़ । किसान आंदोलन के दौरान करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर हुएं लाठीचार्ज का मामला अब वापस हो गया है. किसानों ने आईएएस आयुष सिन्हा के खिलाफ भड़काऊ भाषण और लाठीचार्ज में भूमिका को लेकर दी अपनी शिकायत वापस ले ली है. इसके बाद सरकार ने आयुष को पंचकूला का एडीसी अधिकारी नियुक्त कर दिया है. गुरुवार शाम मुख्य सचिव विजयवर्धन ने उनके नियुक्ति आदेश जारी किया.

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आयुष सिन्हा की नई नियुक्ति के साथ ही बसताड़ा टोल प्लाजा प्रकरण की जांच को लेकर गठित जस्टिस सेवानिवृत्त एसएन अग्रवाल आयोग की रिपोर्ट औचित्यहीन हो गई है. अग्रवाल ने रिपोर्ट 24 दिसंबर को तैयार कर ली थी और उन्होंने सरकार से इसे सौंपने के लिए समय भी मांगा लेकिन बुलावा नहीं आया. किसान आंदोलन खत्म होने और केस वापसी पर रजामंदी के बाद अब सरकार की रुचि इस रिपोर्ट में अधिक नहीं हैं लेकिन अग्रवाल का कहना है कि वो अपनी रिपोर्ट सरकार को जरुर सौंपेंगे.

सीएम मनोहर लाल और किसान नेताओं के बीच हुई मीटिंग में यह तय हुआ था कि सरकार और किसान दोनों इस मामले में सकारात्मक रवैया अपनाएंगे. किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया सरकार शुरू कर चुकी हैं, इस बात की जानकारी खुद सीएम मनोहर लाल ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दी थी. इसके साथ ही गृह विभाग 5 जनवरी 2022 को अधिसूचना जारी कर अग्रवाल आयोग का कार्यकाल खत्म कर चुका है.

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दोनों ही पक्ष नहीं चाहते किसी का नुकसान

सरकार और किसान नेताओं के बीच हुए समझौते में यह बात सामने आई थी कि दोनों ही पक्ष किसी का नुकसान नहीं चाहते हैं. आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो, किसान भी इस पक्ष में नहीं थे और सरकार भी नहीं चाहती थी कि इस प्रकरण को लेकर किसानों के खिलाफ कोई बात जाए. इसलिए दोनों पक्षों के बीच केस वापसी व शिकायत वापस लेने का आधार तैयार हुआ, जिसके बाद अग्रवाल आयोग की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई.

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अब आयोग की रिपोर्ट का कोई औचित्य नहीं

उधर इस मामले को लेकर भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जब शिकायत ही वापस हो गई है तो अग्रवाल आयोग की रिपोर्ट का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. सरकार के साथ हुए समझौते में केस के साथ शिकायतें वापस लेने पर सहमति बनी थी. सरकार ने किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है और उम्मीद है कि जल्द ही अन्य मांगों को पूरा किया जाएगा.

क्या था बसताड़ा टोल विवाद

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में करनाल में हरियाणा बीजेपी के तमाम बड़े नेता पार्टी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. उस समय किसान आंदोलन जोरों पर था और किसानों ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि बीजेपी के कार्यक्रम का विरोध किया जाएगा. किसान विरोध करने के लिए करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर भारी संख्या में पहुंचे थे लेकिन यहां पर किसानों को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था.

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किसानों और पुलिस के बीच यहां जमकर झड़प हुई थी और पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण तरीके से विरोध कर रहे किसानों पर जमकर लाठियां भांजी गई थी जिसमें कई किसानों को गंभीर चोटें आई थी और बाद में एक किसान की मौत भी हो गई थी.

इस पूरे मामले को लेकर बाद में सोशल मीडिया पर उस समय करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा का एक विवादित वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो पुलिसकर्मियों को किसानों के सिर फोड़ने के आदेश दें रहें थे. किसानों ने आयुष सिन्हा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. तब सरकार ने आनन-फानन में एसडीएम आयुष सिन्हा को छुट्टी पर भेज दिया था और जस्टिस एन अग्रवाल की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे लेकिन अब सरकार और किसानों के बीच हुए समझौते के बाद इस रिपोर्ट का कोई औचित्य नहीं रह गया है.

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