भूतिया बंगले से रेस्क्यू किए गए बाप-बेटी ने किए चौंकाने वाले खुलासे, हर कोई रह गया हैरान

चंडीगढ़ । सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ का रिहायशी इलाका, सेक्टर-36 में कोठी नंबर 1588. इस कोठी के पास जाने से हर कोई कतराने लगा था. लोगों ने इस कोठी को भूतिया बंगले का खिताब दें रखा था और आसपास के क्षेत्र में इस कोठी के भूतिया होने की जानकारी बड़ी तेजी से फैल गई थी. लेकिन एक दिन यहां प्रशासन की टीम पहुंचती है और कोठी में मौजूद लोगों को रेस्क्यू करती है. उसके बाद जो जानकारी निकलकर सामने आई उसे सुनकर हर कोई हक्का-बक्का रह गया. इस कोठी में सेना से सेवानिवृत्त 94 वर्षीय मेजर हरचरण सिंह चड्ढा और उनकी 58 वर्षीय बेटी जीवजोत रह रही थी. दोनों ने 25 साल से खुद को इस कोठी में कैद किया हुआ था.

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आलीशान दिखने वाली कोठी के हालात किसी जंगल से कम नहीं थे. कोठी के चारों ओर बड़ी-बड़ी झाड़ियां और घास उगी हुई थी. घर में बिजली का कनेक्शन भी नहीं था. घर में दो कुत्ते भी बाप-बेटी के साथ ही रह रहे थे जिन्हें भी प्रशासन की टीम ने रेस्क्यू किया. इस रेस्क्यू टीम में तहसीलदार, एसएचओ जसपाल सिंह, एल्डर हेल्पलाइन प्रोजेक्ट डायरेक्टर विक्रम गोठवानी के साथ अन्य प्रशासनिक अधिकारी और चंडीगढ़ पुलिस के जवान शामिल थे. रेस्क्यू टीम ने 58 वर्षीय बेटी जीवजोत और मेजर हरचरण सिंह चड्ढा की मानसिक स्थिति को देखते हुए उन्हें जीएमसी अस्पताल भेजा, जहां मनौवैज्ञानिक वार्ड में उनका उपचार चल रहा है.

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 एक बार राशन लेने निकलती थी बेटी

रेस्क्यू टीम में शामिल एसएचओ ने बताया कि कई वर्षों से बंद पड़े मकान की हालत जंगल जैसी हो गई थी. मेजर हरचरण की बेटी जीवजोत राशन लेने के लिए अंधेरे में घर से बाहर निकलती थी और एक बार में ही वह कई महीनों का राशन लाकर फिर से घर में कैद हो जाती थी. पड़ोसियों ने बताया कि हमने कई बार इनसे घर से बाहर निकलने की अपील की लेकिन ये किसी की बात नहीं सुनते थे. उल्टा बात करने वालों को ही गालियां देना शुरू कर देते थे.

मेजर के बेटे ने अपने पिता और बहन को इस कोठी से बाहर निकालने की गुहार लगाई थी जिसके बाद प्रशासन ने टीम बनाकर दोनों को रेस्क्यू किया और उन्हें अस्पताल पहुंचाया. इस तरह रेस्क्यू टीम द्वारा भूतिया बंगले की जानकारी लोगों के सामने लाई गई.

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घर हड़पने के घर से किया खुद को कैद

रेस्क्यू टीम ने मेजर हरचरण सिंह चड्ढा के बेटे को मौके पर बुलाया और फिर टीम जबरदस्ती इस कोठी में घुसी. रेस्क्यू टीम ने बेटी जीवोत्पत्ति की काउंसलिंग की तो पता चला कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. बेटी ने रेस्क्यू टीम को जानकारी दी कि उनके घर को कोई जबरदस्ती हथियाना चाहता है, जबकि वह संपति पीजीआई चंडीगढ़ को दान करना चाहते हैं. बिजली का कनेक्शन उन्होंने खुद कटवाया था क्योंकि किसी ने कुड़ी लगाकर बिजली चोरी करना शुरू कर दिया था. बेटी जीवजोत ने बताया कि उनका खुद ही किसी से मिलने को दिल नहीं करता था क्योंकि कोई उनका भला नहीं चाहता था.

बाप के व्यवहार से बेटे ने छोड़ दिया था घर

मेजर हरचरण सिंह के बेटे ने बताया कि उन्होंने 30 साल पहले पिता के सख्त व्यवहार के चलते घर छोड़ दिया था. इस समय वह गुरुग्राम में कंपनी में नौकरी करते हैं और परिवार सहित पंचकूला के अमरावती एन्क्लेव में किराए के मकान में रहते हैं. 14 फरवरी को उन्होंने पुलिस को पब्लिक विंडो के जरिए शिकायत देकर अपील की थी कि उसके पिता का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और घर खुलवाकर पिता और बहन को बाहर निकाला जाएं.

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सेना के रिकार्ड में नहीं दिया था बेटे का नाम

मेजर हरचरण सिंह चड्ढा ने चंडीगढ़ के जिला सैनिक वेलफेयर बोर्ड में वर्ष 2003 में खुद को रजिस्टर कराया था. जिसमें खुद पर निर्भर अपनी पत्नी और बेटी जीवजोत चड्ढा का नाम लिखवाया था. लेकिन बेटे सर्वप्रीत का कोई जिक्र नहीं है. मेजर हरचरण सिंह चड्ढा का जन्म 1928 का अंकित है जो कि भारतीय थल सेना में कार्यरत थे. उनके इस फैसले से हर कोई हैरान था.

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