चंडीगढ़ । चंडीगढ़ के पॉश इलाके सेक्टर-36 का वह मकान जो लोगों के बीच भूतिया बंगला के नाम से मशहूर हो चुका था. प्रशासन ने कई सालों से बंद पड़े इस भूतिया बंगले से 94 वर्षीय मेजर हरचरण सिंह चड्ढा और उनकी 58 वर्षीय बेटी जीवजोत को रेस्क्यू कर उन्हें उपचार के लिए अस्पताल भेज दिया लेकिन अब भी कई सवाल लोगों के जेहन में है.
बता दें कि जिस भूतिया बंगले में बाप-बेटी ने खुद को सालों से कैद किया हुआ था, उसी घर में तीन साल पहले तक मेजर हरचरण सिंह चड्ढा की पत्नी भी साथ ही रहती थी. साल 2018 में उनका स्वर्गवास हो गया था. जिस समय बाप-बेटी को इस घर से रेस्क्यू किया गया, उस समय घर में दो कुत्ते भी बंधे हुए मिलें थे. मेजर हरचरण सिंह का एक सर्वप्रीत नाम से बेटा भी है जो 30 साल से ही पिता से अलग रह रहा है.
वहीं इस परिवार के रिकॉर्ड की जांच की गई तो पुलिस ने बताया कि सेक्टर-36 पुलिस स्टेशन में बेटे सर्वप्रीत के खिलाफ साल 2004 में एक केस दर्ज हुआ था और उस पर 1500 रुपए का जुर्माना भी लगा था. सर्वप्रीत को घर पर कुत्ते पालने का शौक था और वह इनका व्यापार भी करता था. मिली जानकारी अनुसार एक बार सर्वप्रीत के पालतू कुत्ते ने जस्टिस महाजन को काट लिया था जिसके अपराध में सर्वप्रीत पर जुर्माना लगाया गया था. बताते हैं कि इसके बाद मेजर चड्डा ने अपने बेटे को घर से बाहर निकाल दिया था.
2003 के पेमेंट पेंशन आर्डर में नहीं बेटे का जिक्र
1987 में मेजर हरचरण सिंह चड्ढा इंडियन आर्मी से सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्त के बाद आर्मी पर्सोनल का पेमेंट पेंशन आर्डर बनता हैं और पेमेंट पेंशन आर्डर में आर्मी पर्सोनल में खुद की जानकारी देने के साथ उस पर निर्भर लोगों की जानकारी अंकित होती है. चड्ढा ने चंडीगढ़ आर्मी वेलफेयर बोर्ड में खुद को साल 2003 में रजिस्टर करवाया था, जिसमें उन्होंने खुद पर निर्भर पत्नी और बेटी जीवजोत का नाम दर्ज करवाया है लेकिन बेटे का कहीं जिक्र नहीं है.
ऐसे में बेटे का पिता से अलग होना और दोबारा वापस आकर सालों से मकान में कैद पिता की बीमारी का हवाला देते हुए पुलिस से उन्हें रेस्क्यू करने की शिकायत दर्ज करवाना तथा फिर बहन की बजाय सिर्फ पिता को अस्पताल से छुट्टी दिलवाकर ले जाना कई सवाल खड़े कर रहा है. हालांकि पुलिस भी मेजर हरचरण सिंह चड्ढा से जुड़े सभी पहलुओं की बारीकी से जांच कर रही है.
सख्त था मेजर का व्यवहार
स्थानीय लोगों की शिकायत पर प्रशासन की टीम ने 30 जनवरी को मेजर हरचरण सिंह के घर पर विजिट की थी. इस विजिट के ठीक दो हफ्ते बाद बेटा सर्वप्रीत सामने आया जिसने पब्लिक विंडो पर शिकायत दर्ज कर प्रशासन से बीमार पिता को रेस्क्यू करने की अपील की थी. प्रशासन द्वारा रेस्क्यू करने के बाद बेटे ने बताया कि उसके पिता का व्यवहार बेहद सख्त था और उसे सिविल लोग पसंद नहीं थे. उसे किसी से इंकार शब्द सुनना अच्छा नहीं लगता था और इसी व्यवहार के चलते उसने 30 साल पहले घर छोड़ दिया था.
मेजर के बयान पर होगा तय
मिली जानकारी अनुसार बेटा अपने पिता मेजर हरचरण सिंह चड्ढा को 28 फरवरी को अस्पताल से छुट्टी दिलवाकर अपने साथ ले गया था लेकिन एसडीएम रुपेश कुमार के हस्तक्षेप के बाद बेटे को पिता की कस्टडी नहीं दी गई. एसडीएम ने बताया कि अस्पताल से मेजर की फिटनेस रिपोर्ट मिलने के बाद उनके बयान लेकर उनके रहने पर फैसला लिया जाएगा. बेटे के कहने पर पिता और बेटी को कही शिफ्ट नहीं किया जाएगा.
न बेटे की शादी हुई न बेटी की
मिली जानकारी अनुसार मेजर हरचरण सिंह चड्ढा की बेटी जीवजोत और बेटे सर्वप्रीत की अभी तक शादी न होना भी कई सवालिया निशान खड़े कर रहा है. दोनों ही भाई-बहन की उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है. बेटी जीवजोत की उम्र 58 साल हो चुकी है तो वहीं बेटा अपने आप को उम्र में सबसे बड़ा बता रहा है.
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