चंडीगढ़ । पांच राज्यों के चुनावों में बुरी तरह से पटखनी खाने के बाद हरियाणा में पार्टी किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहेगी.मगर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा कांग्रेस में भी आपसी खींचातनी शुरू हो गई है.
हुड्डा की जी 23 में बढी सक्रियता
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के जी-23 नेताओं के साथ सक्रियता दिखा रहे हैं. हुड्डा की सक्रियता को लेकर कई चर्चाएं हैं, लेकिन इससे वह बड़े दांव की तैयारी कर रहे हैं. माना जा रहा है कि हुड्डा का असली निशाना हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा हैं. जानकारी के मुताबिक जी-23 में अपनी सक्रियता से हुड्डा हरियाणा कांग्रेस का नेतृत्व बदलने के लिए पार्टी पर दबाव बनाना चाहते हैं.
हुड्डा और राहुल की 50 मिनट तक चली बातचीत
बता दें कि कुमारी शैलजा को हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा लंबे समय से सक्रिय है.ऐसे में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हुड्डा जी-23 के नेताओं के बीच भी सक्रिय हो गए. बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुवार सुबह कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की. हुड्डा और राहुल गांधी के बीच 50 मिनट तक चली मुलाकात हुड्डा इसके बाद सीधे जी-23 नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर गए।
हुड्डा ने साधी चुप्पी
गुलाम नबी आजाद से पहले राहुल गांधी के साथ हुड्डा की मुलाकात को कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के बजाय हरियाणा के परिदृश्य में देखा जा रहा है. हुड्डा ने राहुल से मुलाकात के बाद फिलहाल चुप्पी साध रखी है, लेकिन उनके समर्थक कह रहे हैं कि राहुल गांधी ने हुड्डा को फोन करके उनके आवास पर बुलाया था. तब से यह आम बात हो गई है कि हुड्डा आलाकमान और जी-23 नेताओं के बीच समन्वय का काम करेंगे.
बेटे को बनाना चाहते हैं काग्रेस अध्यक्ष
इसके साथ ही यह चर्चा भी तेज हो गई कि हुड्डा हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व को बदलना चाहते हैं. बताया जाता है कि हुड्डा ने हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा के नाम का प्रस्ताव रखा है. बता दें कि हुड्डा के दबाव में कांग्रेस ने कुमारी शैलजा की जगह राज्यसभा चुनाव में दीपेंद्र हुड्डा को अपना उम्मीदवार बनाया था.
समर्थक काफी उत्साहित
इसके साथ ही गुलाम नबी आजाद के घर बैठक के बाद जारी बयान से हुड्डा के समर्थक काफी उत्साहित हैं. हुड्डा समर्थकों का मानना है कि आलाकमान को फिलहाल बीच से बाहर निकालने में उनके नेता (हुड्डा) सबसे कारगर साबित होंगे. उधर, राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने भी इस पूरे प्रकरण को लेकर चुप्पी साध रखी है.हुड्डा के कुछ समर्थक यह भी कह रहे हैं कि गुलाम नबी आजाद से दोस्ती बनाए रखने के लिए उनके नेता जी-23 की बैठकों में जा रहे हैं. नहीं तो हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व से कोई दुश्मनी नहीं है.
क्या हरियाणा में भी कांग्रेस का होगा बुरा हाल
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा में भी अब बाकी राज्यों जैसा हाल देखने को मिल सकता है. जिस तरह से पंजाब में आपसी नेताओं में खींचातानी चला करती थी, उसी तरह से मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ, राजस्थान में गहलोत ओर पायलट अब हुड्डा ओर शैलजा देखने को मिल रहा है. प्रदेश कांग्रेस में जहां भी इस तरह का माहोौल देखने को मिला है। वहां पर कांग्रेस हमेशा बैकफुट पर आई है। ऐसा ना हो कि हरियाणा में भी कांग्रेस में कोई कलह हो जाए और फिर से वैसा ही हाल देखने को मिले जो बाकी राज्यों में कांग्रेस के नेताओं द्वारा देखने को मिला है.
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