हरियाणा में करनाल उपचुनाव तय करेगा BJP सरकार का भविष्य, जानिए विधानसभा में आंकड़ों का गणित

चंडीगढ़ | हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीटों और करनाल विधानसभा उपचुनाव में 25 मई को मतदान के बाद सभी उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद हो गई है. 4 जून को रिजल्ट घोषित होने के बाद केंद्र में नई सरकार के गठन की तस्वीर साफ हो जाएगी तो वहीं करनाल उपचुनाव का नतीजा नायब सैनी सरकार का भविष्य तय करेगा. पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विधायक पद से इस्तीफे के बाद इस सीट पर हो रहे उपचुनाव में सीएम की कुर्सी बचाने के लिए नायब सैनी (Nayab Saini) को हर हाल में जीत दर्ज करनी होगी.

Nayab Singh Saini

बैकफुट पर होगी कांग्रेस और JJP

करनाल उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी जीत हासिल करता है, तो सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रहे प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और JJP बैकफुट पर दिखाई देंगे. बिजली मंत्री रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद खाली हुई रानियां और निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मौत के बाद खाली हुई बादशाहपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की संभावना ना के बराबर है.

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13 मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस्तीफे और 30 अप्रैल को रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद हरियाणा विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 88 हो गई थी. वहीं, 25 मई को निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मौत के बाद यह आंकड़ा घटकर 87 पर पहुंच गया है. यदि 4 जून को करनाल उपचुनाव का रिजल्ट बीजेपी के पक्ष में रहता है और यह आंकड़ा फिर से 88 हो जाएगा.

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सूबे में BJP- JJP गठबंधन टूटने के बाद जब 12 मार्च को मनोहर लाल को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नायब सैनी को नया सीएम बनाया गया था तब उस सरकार को भाजपा के तत्कालीन 41 विधायकों (स्पीकर को मिलाकर), 6 निर्दलीय और हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा सहित कुल 48 विधायकों का समर्थन हासिल था.

शक्ति परीक्षण करवा सकते हैं गवर्नर

तत्कालीन सीएम मनोहर लाल और फिर बिजली मंत्री रणजीत चौटाला के विधायक पद से इस्तीफे के बाद बीजेपी सरकार समर्थित सदस्यों की संख्या 46 रह गई थी. उसके बाद, 3 निर्दलीय विधायकों द्वारा समर्थन वापसी और एक निर्दलीय विधायक की मौत के बाद बीजेपी सरकार के पास समर्थित सदस्यों की संख्या 42 पर आ चुकी है.

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ऐसे में सरकार के अल्पमत में होने का दावा करते हुए कांग्रेस और जजपा सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रही है. करनाल उपचुनाव के नतीजे के बाद गवर्नर शक्ति परीक्षण के लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला सकते हैं.

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