चंडीगढ़ । हरियाणा के जींद जिले के गांव छातर में दलित परिवारों के सामाजिक बहिष्कार के मामले ने तूल पकड़ लिया है. 150 परिवारों के सामाजिक बहिष्कार का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया है. अनुसूचित जाति के युवक गुरमीत ने अपने वकील अर्जुन श्योराण के माध्यम से इस मामले को हाईकोर्ट में दायर किया है. दायर याचिका में गुरमीत ने उनका सामाजिक बहिष्कार करने वाले व उनके खिलाफ माहौल तैयार करने वालों पर कार्रवाई करने के निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता के अनुसार 10 सितम्बर को गांव के खेल मैदान में उनके उपर गांव के अन्य युवकों ने जातीय टिप्पणी की थी जिसके बाद वहां पर दोनों पक्षों के बीच झगड़ा हो गया था. इसके बाद याची ने उचाना थाना में इन युवकों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करवाया था. केस दर्ज करवाने पर इस मामले ने जातीय रंग ले लिया और आरोपितों के समर्थन में गांव के लोगों ने पंचायत करके याचिकाकर्ता के पक्ष में आएं अनुसूचित जाति के 150 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला सुनाया.
याचिका में गुरमीत ने बताया कि स्वर्ण जाति के लोगों ने उसके समाज पर दबाव डाला कि गुरमीत का कोई साथ नहीं देगा. लेकिन जब अनुसूचित जाति के लोगों ने इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया तो उनको गांव में दुकानों से राशन देने से मना कर दिया गया. पशुओं के लिए खेतों में चारा लेने गए तो खेतों में नहीं घुसने दिया गया. याचिकाकर्ता के अनुसार चल रहे बहिष्कार के चलते गांव के अनुसूचित जाति के समाज पर जीवन, आजिविका और शिक्षा का संकट पैदा हो गया है. याचिकाकर्ता ने बताया कि इसके साथ ही यह भी घोषणा की गई थी कि यदि गांव का कोई निवासी इस बहिष्कार को नहीं मानता है तो उसके खिलाफ 11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. फिलहाल याचिका हाईकोर्ट रजिस्ट्री में फाइल हुई है और इस पर हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई के आसार हैं.
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