चंडीगढ़ | हरियाणा में 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने पर नायब सैनी की BJP सरकार पर सियासी संकट बरकरार है. हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि परम्परा यह है कि 6 महीने से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता है. हालांकि, ऐसा कोई नियम नहीं है.
मानसून सत्र का इंतजार
यही वजह है कि समूचा विपक्ष अब हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र का इंतजार कर रहा है, जहां विपक्ष एकजुट होकर सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है. वहीं, हरियाणा के राज्यपाल चाहें तो वह भी अल्पमत की सूरत में सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं.
सरकार बचाने के 3 रास्ते
पहला: JJP के 10 में से 6 विधायक पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं और इनमें से 2 विधायक बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं. वहीं, 2 विधायक कांग्रेस के पक्ष में है. ऐसे में यदि BJP इन चारों विधायकों को मनाने में कामयाब हो जाती है, तो उसके पास नंबर की संख्या 47 हो जाएगी. फिर सरकार गिरने का खतरा टल जाएगा.
दूसरा: सरकार से समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायकों को मनाकर बीजेपी फिर से अपने पाले में ला सकती है. इसमें किसी विधायक पर संवैधानिक संकट भी नहीं आएगा और सरकार चलने का रास्ता साफ हो जाएगा.
तीसरा: JJP से नाराज़ चल रहे 6 विधायक अगर विपक्ष के विश्वास मत या अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विधानसभा से अनुपस्थित रहते हैं तो सदन में 82 सदस्य रह जाएंगे. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 42 हो जाएगा, जबकि बीजेपी के पास फिलहाल 43 विधायकों का समर्थन है.
2 वजहों से गिर सकती है BJP सरकार
पहली: विपक्ष में 45 विधायक हैं. इसमें 30 कांग्रेस, 10 जजपा, 4 निर्दलीय और एक इनेलो से विधायक हैं. अगर पूरा विपक्ष एकजुट हो तो सरकार गिरना संभव है.
दूसरी: फिलहाल, सरकार के समर्थन में दो निर्दलीय और एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा है. अगर ये भी समर्थन वापस ले ले तो बीजेपी के पास सिर्फ 40 विधायक ही बचेंगे. फिर सरकार नहीं बच पाएगी.
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