हरियाणा में पंचायत चुनाव पर फिर लटकी तलवार, पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती

चंडीगढ़ | हरियाणा में पंचायत चुनावों का मामला उलझता ही जा रहा है. प्रदेश सरकार द्वारा पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग ए को दिए गए आरक्षण के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है जिससे एक बार फिर पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में देरी के आसार नजर आ रहे हैं. बता दें कि पंचायत चुनावों में पिछड़ा वर्ग (ए) को आरक्षण देने के फैसले के बाद सरकार ने ड्रा प्रकिया भी शुरू कर दी थी.

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HIGH COURT

सोनीपत निवासी राजेश द्वारा दायर याचिका के अनुसार, ग्राम सभा क्षेत्र में बीसी (ए) की कुल जनसंख्या के आधे प्रतिशत के आधार पर आरक्षण दिया जाए तथा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्डों के अलावा रोटेशन द्वारा वार्ड आवंटित किए जाएं. दलील दी गई कि ड्रा की प्रक्रिया और रोटेशन प्रक्रिया का पालन कैसे किया जाएगा, इसके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है, जो पूरी तरह से अवैध, अनुचित और असंवैधानिक है. हालांकि, जहां तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण का संबंध है, यह जनसंख्या के अनुपात में किया जा रहा है जबकि बीसी (ए) के लिए इसे जनसंख्या के आधे प्रतिशत में जोड़ा जा रहा है.

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याचिका के अनुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत, जिला परिषद और ब्लाक समितियों में पिछड़ा वर्ग-ए की जितने प्रतिशत आबादी होगी उसकी 50 प्रतिशत सीटें पिछड़ों के लिए आरक्षित की जाएंगी. यह अध्यादेश एससी श्रेणी की तुलना में दिए जा रहे लाभ की सीमा को सीमित कर बीसी (ए) के प्रति पूरी तरह से भेदभावपूर्ण है, इसलिए इसे रद्द किया जाए.

याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2022 को को भी रद्द करने की मांग की है. याचिका हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में फाइल कर दी गई है और संभावना है कि आने वाले दो तीन में यह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो जाए. ऐसे में पंचायत चुनाव लड़ने का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों की बैचेनी फिर से बढ़ना लाजमी माना जा रहा है.

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