चंडीगढ़ । निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर गए बिजली कर्मचारियों की वजह से चंडीगढ़ में बिजली व्यवस्था ठप्प होने से हाहाकार मचा हुआ है. बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने सेना की मदद लेने का फैसला लिया है. मिली जानकारी अनुसार प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल ने बताया कि बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए चंडीमंदिर स्थित पश्चिमी कमान के मिलिट्री इंजिनियरिंग सर्विस (एमईएस) की मदद लेने का फैसला लिया गया है. इसके अलावा पंजाब- हरियाणा के साथ-साथ हिमाचल से भी मदद की पेशकश की गई है.
बता दें कि एमईएस भारत में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सरकारी रक्षा बुनियादी ढांचा विकास एजेंसियों में से एक है. यह मुख्य रूप से भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय आयुर्विज्ञान कारखानों, डीआरडीओ और भारतीय तट रक्षक सहित भारतीय सशस्त्र बलों के लिए इंजीनियरिंग और निर्माण कार्यों का प्रबन्धन करती है.
एस्मा का विरोध
बिजली कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने एस्मा लागू किया था. ज्वाइंट एक्शन कमेटी और कोऑर्डिनेशन कमेटी ने कहा कि हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा लगाने के चंडीगढ़ प्रशासन के फैसले का हम विरोध करते हैं. ज्वाइंट एक्शन कमेटी संयोजक अश्विनी कुमार ने कहा कि बिजली कर्मचारी मुनाफे में चल रहे विभाग को प्राइवेट हाथों में सौंपने को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बिजली विभाग का निजीकरण रोका जाएं और एस्मा कानून को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए.
उधर एस्मा लगाने के बाद कई कर्मचारी फोन बंद कर भूमिगत हो गए हैं. इन नेताओं के गुप्त ठिकानों पर छूपे होने की जानकारी निकलकर सामने आ रही है. सूत्रों से जानकारी मिली है कि ये नेता गुप्त तरीके से अपने लोगों से बातचीत कर आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं. वहीं प्रशासन द्वारा इन कर्मचारी नेताओं की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है.
पुलिस थानों में अंधेरा
बिजली आपूर्ति ठप्प होने से शहर के कई पुलिस थानों में अंधेरा छाया रहा और कई घंटे तक कम्प्यूटर बंद रहे. हालांकि कुछ थानों में बैटरी बैकअप होने के कारण कामकाज प्रभावित नहीं हुआ. वहीं बिजली आपूर्ति बंद होने से शहर के ज्यादातर ट्रैफिक लाइट प्वाइंट बंद पड़े रहे. पुलिसकर्मियों ने सुबह से शाम तक चौराहों और लाइट प्वाइंट्स पर खड़े होकर ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त रखा.
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