चंडीगढ़ । एक महिला को सत्ताधारी पार्टी के नेता पर दुष्कर्म और ब्लैकमेल का आरोप लगाते हुए, जाँच को सीबीआई को सौंपने की मांग काफी भारी पड़ गई. विशेष जांच दल की रिपोर्ट में एफ आई आर को झूठा पाने के बाद हाईकोर्ट ने कानून का मजाक बनाने के चलते पीड़िता पर ₹1 लाख का जुर्माना लगा दिया. बता दें कि यह राशि पीड़िता को चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लाइंड कों सौंपनी होंगी. हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई जांच की मांग को ठुकरा दिया गया. लेकिन अभी ट्रायल कोर्ट का फैसला आना बाकी है.
पीड़िता को महंगा पड़ा सत्ताधारी नेता के खिलाफ याचिका करना
जब पीड़िता ने याचिका दाखिल की थी, तो उसने बताया था कि वह मोगा की एक डिस्पेंसरी में नर्स का कार्य कर रही है. सत्ताधारी पार्टी का स्थानीय नेता अक्सर वहां आया जाया करता था. दिसंबर 2019 में उसने याची से कहा कि उसके पास याची की अश्लील तस्वीरें है. या तो वह उसे ₹5 लाख दे या उसके साथ संबंध बनाए. अपनी इज्जत बचाने के लिए याची ने उसे ₹4 लाख दे दिए, लेकिन उसने उसके बावजूद भी फोटो को डिलीट नहीं किया, औऱ दोबारा से ₹3 लाख की मांग की. मांग पूरी न होने पर वह याची को अपने साथ ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया.
याची ने पुलिस शिकायत दर्ज करवाई. लेकिन सत्तासीन पार्टी से तार जुड़े होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई. हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी टीम का गठन भी किया गया. एसआईटी की टीम ने पाया कि आरोप बेबुनियाद है दोनों के बीच काफी अच्छे संबंध थे. इस रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह याचिका और कुछ नहीं, बल्कि कानून के साथ मजाक है. इसके लिए याची को सबक सिखाया जाना बहुत जरूरी है. इसलिए हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए ₹1 लाख का जुर्माना लगाया.
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