जज पर विवादित टिप्पणी कर बुरे फंसे CM खट्टर, सुप्रीम कोर्ट में पंहुचा मामला; पढ़े डिटेल्स

चंडीगढ़ | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक जज पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर हरियाणा के CM मनोहर लाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बता दें कि सीएम ने यह बयान भिवानी जिले के गांव खरक कलां गाँव में पुलिस भर्ती संबंधित मामले को लेकर दिया था. इस बयान को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सीएम की घेराबंदी शुरू कर दी है और मामला हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.

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कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री अतर सिंह सैनी एवं हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने इस मामले में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट को शिकायत भेजकर सीएम मनोहर लाल के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की है. उन्होंने अपनी शिकायत में सीएम के बयान को कोर्ट की अवमानना बताया है. इस शिकायत में कहा गया है कि हम भी वकील हैं जो कि ऑफिसर ऑफ दी कोर्ट होता है, इस वजह से हमें भी बयान से तकलीफ़ हुई है.

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कहा था- जज के माथे में हैं गड़बड़

हाल ही में, सीएम मनोहर लाल अपने भिवानी दौरें के दौरान कई गांवों में सार्वजनिक सभा के दौरान ग्रामीणों से सीधे रूबरू हुए थे. इस दौरान किसी व्यक्ति ने उनसे पुलिस भर्ती के बचे हुए अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग को लेकर सवाल पूछ लिया. इस पर मनोहर लाल ने कहा कि एक जज है, उसके माथे में कुछ गड़बड़ हैं, ठीक करेंगे उसको. यानि एक न्यायाधीश हैं, जिन्हें समस्या है और हम उसे ठीक कर देंगे. सीएम का यह बयान सोशल मीडिया और कई न्यूज पेपर्स पर तेजी से वायरल रहा.

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का बयान न्यायिक अधिकारी, वह भी माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए सीधा खतरा है और सीधे तौर पर यह अदालत की आपराधिक अवमानना है. ऐसे में न्यायपालिका के सम्मान और गरिमा को बचाने के लिए यह आवश्यक है कि सार्वजनिक मंच पर ऐसे बयान देने वाले सीएम मनोहर लाल के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए.

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न्यायधीश की गरिमा के लिए बनें उदाहरण

अपनी शिकायत में एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सीएम न्यायपालिका के काम में सीधे तौर पर हस्तक्षेप कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें ऐसी सजा होनी चाहिए जो माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की गरिमा के लिए एक उदाहरण बनें. उन्होंने मांग की है कि इस मामले में अवमाननाकर्ता के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही शुरू की जाए और न्याय के हित में कड़ी सजा देते हुए उन्हें एक सबक दिया जाए.

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