चंडीगढ़ | सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पत्नी की देखभाल कर रहे जिला परिषद अध्यक्ष के प्रतिनिधियों को सख्त नसीहत देते हुए बैठक से बाहर कर दिया. इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने खुद महिला जिला परिषद अध्यक्षों से पूछा कि क्या वे चाहते हैं कि बैठक में आपके पति मौजूद रहें. सभी महिलाओं ने एक सुर में ना में जवाब दिया. इसके बाद, प्रतिनिधियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया.
जिला परिषदों के अध्यक्षों के साथ थी बैठक
सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी 22 जिला परिषदों के अध्यक्षों के साथ हरियाणा आवास पर बैठक बुलाई थी. इसमें विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली सहित मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी. उमाशंकर और पंचायत विभाग के एसीएस अनिल मलिक मौजूद थे. सुबह 11 बजे बैठक शुरू होते ही महिला अध्यक्षों को उनके पतियों के साथ देख मुख्यमंत्री गुस्सा हो गए. मनोहर लाल ने स्वयं महिला अध्यक्षों से पूछा कि क्या वे चाहती हैं कि उनके पति बैठक में शामिल हों, जिसका महिलाओं ने ना में उत्तर दिया.
महिला अध्यक्षों के पति बैठक से वाकआउट कर गए
महिलाओं ने कहा कि जब सरकार ने पंचायती राज अधिनियम में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया है और वे सभी शिक्षित हैं तो वे खुद अपनी बात रखेंगी. इसके बाद, महिला अध्यक्षों के पति बैठक से वाकआउट कर गए. दोपहर में भी मुख्यमंत्री ने जिला परिषद के अध्यक्ष व सीईओ के साथ बैठक की जिसमें भी महिला अध्यक्षों के पतियों को बाहर रखा गया.
मुख्यमंत्री ने महिला सशक्तिकरण की मिसाल की पेश
आपको बता दें कि 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. ऐसे में महिला दिवस से पहले पत्नी के नाम पर ठगी करने वालों के लिए मुख्यमंत्री की यह पहल एक बड़ी सलाह है. एक तरह से मनोहर लाल ने साफ कर दिया है कि अब पहले की तरह काम नहीं चलेगा जो पद पर बैठा है. वहीं, इसके लिए जिम्मेदार है और वह खुद सब कुछ समझेगा और सरकार के सामने अपनी बात रखेगा.
सरकार का मानना है कि महिलाओं को खुद आगे आकर कमान संभालनी चाहिए तभी उन्हें पंचायतों में दिए जाने वाले 50 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल पाएगा.
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