चंडीगढ़ | लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही हरियाणा में आचार संहिता लागू हो गई है. इससे हरियाणा में विकास रुक जाएगा. जून में चुनाव नतीजे आने तक सिर्फ चुनावी शोर ही सुनाई देगा. इसके साथ ही, चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और अधिकारियों के लिए कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए हैं. किसी भी नए कार्य के लिए टेंडर जारी नहीं किए जाएंगे. अगर किसी योजना को हरी झंडी मिल चुकी है, लेकिन उसका काम शुरू नहीं हो सका है तो आचार संहिता लागू होने के बाद वह काम शुरू नहीं हो सकेगा.
जिला निर्वाचन अधिकारी सबसे शक्तिशाली होता है. चुनाव आचार संहिता लागू होते ही जिला उपायुक्त को जिला निर्वाचन अधिकारी की शक्तियां मिल जाती हैं. जिला उपायुक्त की अनुमति के बिना जिले के अंदर कोई भी रैली नहीं होती है. यहां तक कि प्रधानमंत्री की रैली या रोड शो भी उपायुक्त की अनुमति के बिना नहीं हो सकेगा.
कोई नया काम नहीं हो सकता
इसमें बताया गया है कि इन ढाई महीनों में वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं. सरकार को भी इन निर्देशों का पालन करना होगा. इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई का भी प्रावधान है. ये निर्देश चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहेंगे. आचार संहिता लागू होने के बाद प्रदेश की सैनी सरकार कोई नई घोषणा नहीं कर सकेगी.
राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए
कोई भी उम्मीदवार ऐसा कोई बयान नहीं दे सकता जो किसी व्यक्ति की शालीनता और नैतिकता का उल्लंघन करता हो. कोई भी उम्मीदवार आपसी नफरत पैदा करने वाली किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा और वोट सुरक्षित करने के लिए जाति या सांप्रदायिक आधार पर कोई अपील नहीं करेगा. सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने, जुलूस निकालने और लाउडस्पीकर का उपयोग करने से पहले स्थानीय पुलिस अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना आवश्यक है.
जानें ये प्वाइंट्स
- सरकारी खर्चे पर चुनावी रैली या चुनाव प्रचार नहीं कर सकते.
- आप सरकारी वाहनों का उपयोग केवल अपने आवास से कार्यालय तक ही कर सकते हैं.
- सरकारी खर्च पर कोई भी पार्टी या इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया जा सकेगा.
- सत्ताधारी दल सरकारी पैसे से सरकार के काम का प्रचार नहीं कर सकता.
- विधायक या मंत्री अपनी विकास निधि से कोई नई धनराशि जारी नहीं कर सकते.
- रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.
- कोई किसी के घर पर उसकी अनुमति के बिना पोस्टर, बैनर या झंडा नहीं लगा सकता.
- राजनीतिक दल मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए अपने वाहन भी उपलब्ध नहीं करा सकते.
- मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए डराया-धमकाया नहीं जा सकता.
- धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता.
- सरकार के मंत्री और विधायक यह काम नहीं कर सकते
- मुख्यमंत्री अपने जिले के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नहीं कर सकते.
- सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के गेस्ट हाउस में ठहरने की व्यवस्था नहीं होगी.
- किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान की घोषणा या वादा नहीं करेगा.
- किसी भी परियोजना या योजना का शिलान्यास नहीं करेंगे.
- सड़क बनाने या पेयजल पर काम शुरू करने का वादा भी नहीं कर सकते.
- मंत्री अपने आधिकारिक दौरों के दौरान प्रचार नहीं कर सकते.
- चुनाव प्रचार के लिए सरकारी वाहन, विमान या अन्य किसी सुविधा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.
- चुनाव कार्य से जुड़े अधिकारियों को किसी भी नेता या मंत्री से उनके निजी दौरे या आवास पर मिलने पर रोक रहेगी.
- सरकार की उपलब्धियां बताने वाले होर्डिंग्स और बैनर हटाने होंगे.
- सरकारी भवनों में पीएम, सीएम, मंत्रियों, राजनीतिक व्यक्तियों की तस्वीरें लगाना प्रतिबंधित रहेगा.
- सरकार की उपलब्धियों का विज्ञापन प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व अन्य मीडिया में नहीं करने दिया जायेगा.
- किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का स्थानांतरण या नियुक्ति नहीं होगी.
- अगर ट्रांसफर बेहद जरूरी है तो चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी.