हरियाणा में बिजली कटों से उद्योगों की हालत हुई खस्ता, उत्पादन में 40 फीसदी की आई कमी

चंडीगढ़ | हरियाणा में बिजली संकट के बीच घोषित कटौती से उद्योगों के उत्पादन में 40 फीसदी की कमी आई है. ऐसे में उद्योगपतियों के पहले के समझौते टूटने के कगार पर हैं. जनरेटर से उद्योग चलाने से उत्पादन लागत बढ़ गई है. अनुमान है कि पिछले 10 दिनों में राज्य में उद्योगपतियों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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कई जगह हो रही अघोषित कटौती

बिजली की किल्लत से प्रदेश में उद्योगों पर रोजाना 14 लाख यूनिट के कट लगाए जा रहे हैं. घोषित विद्युत निगम उद्योगों में 6 से 8 घंटे की कटौती कर रहा है लेकिन कई जगहों पर अघोषित कटौती भी की जा रही है. बिजली नहीं मिलने से उद्योगों में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है.फरीदाबाद, गुरुग्राम, बहादुरगढ़, राय, करनाल, पानीपत और पंचकूला में स्थित औद्योगिक क्षेत्र लक्ष्य से कम उत्पादन कर रहे हैं.

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उद्योगपतियों का कहना है कि उत्पादन में 40 फीसदी की कमी आई है. उद्योगपतियों ने कहा कि बिजली नहीं मिलने से उद्योग बंद होने के कगार पर आ चुका है. अगर यही स्थिति रही तो वह समय पर ऑर्डर कैसे दे पाएगा.

मजदूरों के रोजगार पर भी संकट के बादल छा गए हैं. हरियाणा व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने कहा कि उत्पादन कम होने के कारण समझौता टूटने के कगार पर पहुंच गया है. बजरंग दास गर्ग ने मांग की है कि उद्योगों को तत्काल प्रभाव से बिजली बहाल की जाए.

राज्य में और बढ़ सकता है बिजली कट

अभी उद्योगों को कटौती से राहत मिलने के आसार कम हैं. एक तो बढ़ती गर्मी से बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है. दूसरा आने वाले दिनों में जब धान की बुआई का मौसम आएगा तो खेतों में और बिजली की जरूरत पड़ेगी. वर्तमान में गेहूं का मौसम होने के कारण खेतों में बिजली की आपूर्ति कम हो रही है. बिजली निगम के आंकड़ों के मुताबिक अब 8600 मेगावाट की मांग रोजाना पूरी हो रही है. अगले कुछ दिनों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. ऐसे में कटौती की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि अभी तक राज्य में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पाई है.

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तय समय पर मिले बिजली

चैंबर्स के पूर्व अध्यक्ष विष्णु गोयल ने कहा कि बिजली कटौती से उद्योगों को नुकसान हो रहा है. उन्होंने मांग की है कि उद्योगों को बिजली आपूर्ति का शेड्यूल दिन के हिसाब से बनाया जाए ताकि उद्योग लगातार चल सकें. फिर चाहे सप्ताह में पांच दिन बिजली दी जाए और दो दिन बंद रखें. वहीं जनरेटर से उद्योग चलाने के लिए उत्पादन लागत बढ़ रही है. इसलिए प्रदेश सरकार को जल्द ही इस मामले का हल निकालना होगा. अन्यथा पूरी इंडस्ट्री की हालत और ज्यादा खस्ता हो जाएगी. जिससे मालिकों को तो परेशानी होगी ही साथ में इंडस्ट्री में काम कर रहे लोगों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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ऊर्जा मंत्री ने बिजली संकट पर कही ये बात

वहीं बिजली संकट को देखते हुए प्रदेश के ऊर्जा मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने इस बारे में कहा है कि बिजली को लेकर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. जल्द ही पर्याप्त बिजली की व्यवस्था की जाएगी. कुल मांग के एक प्रतिशत तक ही कटौती की जा रही है. उम्मीद है कि जल्द ही कटों से छुटकारा मिल जाएगा.

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