चंडीगढ़ | कहते हैं राजनीति में सब कुछ संभव है. कभी हरियाणा की राजनीति की दशा और दिशा तय करने वाली क्षेत्रीय पार्टियां आज अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल द्वारा बनाई गई इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के सामने स्थिति यह आ गई है कि इस बार यदि पार्टी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई तो क्षेत्रीय दल की मान्यता से हाथ धोना पड़ेगा.
JJP के लिए करो या मरो की स्थिति
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर साढ़े 4 साल गठबंधन सरकार चलाने वाली दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के भी वर्तमान में यही सियासी हालात बन गए हैं. INLD से अलग होकर बनी जजपा के सामने भी करो या मरो की स्थिति उत्पन्न हो गई है. 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के 10 विधायक जीत कर आए थे और अब बीजेपी से गठबंधन टूटने पर 5 विधायक खुलकर बगावत कर रहे हैं. यानि पार्टी फूट का शिकार हो रही है.
हरियाणा की राजनीति के 3 लाल
हरियाणा की राजनीति में तीन लाल मशहूर रहे हैं और तीनों ने ही अपनी- अपनी क्षेत्रीय पार्टियां बनाई. पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी (HSP) और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की हरियाणा जनहित कांग्रेस (HJK) आज इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है.
वहीं, 1987 में गठित हुई इंडियन नेशनल लोकदल के वर्तमान में अध्यक्ष चौधरी ओमप्रकाश चौटाला है. फिलहाल, हरियाणा प्रदेश में INLD और JJP दो ही क्षेत्रीय पार्टियां हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में हिसार और सिरसा सीट पर शानदार जीत हासिल करने वाली INLD पिछले आम चुनाव में किसी भी सीट पर अपनी जमानत नहीं बचा पाई थी.
दो- फाड़ का शिकार बनी INLD
2019 में लोकसभा चुनाव से पहले इनेलो दो- फोड़ हुई और अजय चौटाला ने जननायक जनता पार्टी गठित की. नतीजा यह रहा कि लोकसभा में सभी 10 सीटों पर दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा जबकि विधानसभा चुनाव में INLD एकमात्र ऐलनाबाद सीट से जीत दर्ज कर पाई जबकि JJP 10 सीटें जीत कर बीजेपी के साथ सरकार में सहयोगी पार्टी बनी. ऐसे में ये आगामी चुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए निर्णायक साबित होंगे.
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