नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा सरकार के साथ भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड को आदेश दिया कि जितना पानी हरियाणा पहले से दिल्ली को दे रहा है, उतना पानी देता रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार ने हरियाणा पर प्रदुषित पानी देने का आरोप भी लगाया.
दिल्ली सरकार ने कहा कि जो पानी हरियाणा से भेजा जा रहा है, उसमें अमोनिया की मात्रा बहुत अधिक है. कम पानी मिलने के मामले पर दिल्ली सरकार ने कहा कि कोर्ट चाहें तो कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर मामले की जांच कर सकते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा अगर जरूरत पड़ी तो हम वो भी करेंगे.
बता दें कि दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार का कहना है कि हरियाणा पर्याप्त जल की आपूर्ति नहीं करता, वहीं हरियाणा सरकार का दावा है कि हरियाणा दिल्ली को पूरा पानी देता है. ऐसे में दोनों सरकारों के बीच मामला उलझने से आने वाले गर्मियों के सीजन में दिल्ली में जल संकट गहरा सकता है.
दिल्ली सरकार यमुना नदी में प्रदुषण के लिए भी लगातार हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराती है. जबकि हरियाणा में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार का कहना है कि दिल्ली में यमुना को दूषित दिल्ली की इंडस्ट्रिया करती है.हरियाणा की ओर से दिल्ली को हर रोज 1133 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है.
उधर दिल्ली सरकार की तरफ से हरियाणा पर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि हरियाणा सिर्फ 479 एमजीडी पानी ही उसको मुहैया करा रहा है. जल बोर्ड का आरोप है कि उसको कैरिड लाईन चैनल के जरिए 549 क्यूसेक और दिल्ली सब ब्रांच में 306 क्यूसेक पानी ही सप्लाई होता है. यह हथिनीकुंड व मुनक नहर के साथ -साथ भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड के जरिए दिल्ली को सप्लाई होता है.
वहीं हरियाणा सरकार का दावा है कि वह हर रोज 120 क्यूसेक पानी यमुना के जरिए भी दिल्ली को मुहैया करवाता रहा है. हरियाणा ने दिल्ली सरकार पर यह आरोप भी लगाया है कि वह खेती आदि के लिए हरियाणा से मिलने वाले पानी का इस्तेमाल करता है. जल बोर्ड ने अपने वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों को भी अपग्रेड नहीं किया है. हरियाणा भी पानी के लिए सीधे तौर पर दूसरे राज्यों पर निर्भर है. ऐसे में दूसरे राज्यों से जिस आधार पर पानी मिलता है, वहीं हरियाणा की तरफ से दिल्ली को जरुरत के मुताबिक पर्याप्त जल मुहैया कराया जाता है.
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