चंडीगढ़ | हरियाणा में नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री नायब सैनी की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बता दें कि महाराष्ट्र के अकोला वेस्ट विधानसभा सीट पर 26 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसलिए रद्द कर दिया है कि चुनकर आने वाले प्रत्याशी का शेष कार्यकाल 1 साल से भी कम बच रहा था. अब हाईकोर्ट के इस फैसले का असर हरियाणा में करनाल विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर भी पड़ सकता है.
1 साल से कम बचा है कार्यकाल
हरियाणा की करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 25 मई को वोटिंग होगी और यहां से सीएम नायब सैनी को प्रत्याशी बनाया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 13 मार्च को इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 को समाप्त हो रहा है, जो एक साल से भी कम हैं. ऐसे में महाराष्ट्र उपचुनाव वाली बात हरियाणा में भी एकदम फिट बैठती है. वहीं, नायब सैनी 6 महीने के भीतर विधायक नहीं बनें तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी होगी.
इस नियम से बढ़ा खतरा
यदि विधायकों का शेष कार्यकाल एक साल से कम है तो कानून उप-चुनाव पर रोक लगाता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151- A, संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के संचालन के लिए संसद द्वारा अधिनियमित कानून है. हाईकोर्ट ने कहा है कि उपचुनाव कराने के फैसला लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151- A के अनुरूप नहीं था.
हाईकोर्ट में देंगे चुनौती
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट संदीप गोयत ने कहा कि यदि किसी सदस्य का कार्यकाल एक साल से कम समय रहता है तो उपचुनाव कराना स्पष्ट रूप से वर्जित है. हम चुनाव आयोग की 16 मार्च की अधिसूचना के खिलाफ एक याचिका तैयार कर रहे हैं और करनाल उपचुनाव मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
कांग्रेस विधायक ने भी की शिकायत
कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच के दिए फैसले का हवाला देकर करनाल विधानसभा उपचुनाव रद्द करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि एक साल से भी कम कार्यकाल के लिए उपचुनाव कराना सरकारी खजाने के पैसे की बर्बादी है.
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