चंडीगढ़ | हरियाणा पुलिस के दो अधिकारियों डीजीपी मनोज यादव व आईजी वाई पूरन के बीच हुए मतभेद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आईजी ने मामले को लेकर डीजीपी पर एफआईआर दर्ज ना किए जाने पर पुलिस के सिस्टम पर ही सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इस मामले को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार के आला महकमों को पत्र लिखकर डीजीपी मनोज यादव पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत डीजीपी पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.
आईजी ने बताया कि उन्होंने इस विषय को लेकर 19 मई को अंबाला एसपी को शिकायत दी थी लेकिन एसपी ने मामले की जांच अंबाला केंट एसएचओ को सौंप दी. लेकिन अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. आईजी वाईपूरण ने पत्र में एक्ट के संशोधन का हवाला देते हुए यह भी क्लीयर किया कि इस तरह के मामलों में एफआईआर दर्ज करने के लिए प्राथमिक जांच की आवश्यकता नहीं होती है.
उन्होंने कहा कि पांच दिन गुजर जाने के बावजूद भी एफआईआर दर्ज न होना यह स्पष्ट करता है कि अंबाला एसपी कितने दबाव में है. उन्होंने मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स से मामले में तुरंत प्रभाव से हस्तक्षेप करने की मांग की है. आईजी ने कहा कि मामले को तत्काल प्रभाव से डायरेक्टर जनरल इंटलीजेंस ब्यूरो के संज्ञान में भी लाया जाएं.
विज ने झाड़ा पल्ला
मामले को लेकर बीते कल डीजीपी मनोज यादव व गृहमंत्री अनिल विज के बीच करीब दो घंटे मंत्रणा हुईं. अंदरुनी जानकारी के मुताबिक विज ने यह कहते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया है कि अफसरशाही के पचड़े में वह नहीं फंसना चाहते हैं.
सुलह समझौते के प्रयास शुरू
भीतरखाने मामले को लेकर सुलह के प्रयास शुरू हो चुके हैं. अनुसूचित जाति के आईएएस और आईपीएस अधिकारी एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में सरकार किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए जल्दी से मामले को निपटाने के प्रयास में है.
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