जम्मू से मात्र साढ़े 3 घंटे में श्रीनगर की दूरी होगी तय, रेलवे लिंक तैयार; जानिए क्यों है ये सबसे खास?

चंडीगढ़ | देश में शुरू होने वाली 49वीं वंदे भारत ट्रेन सबसे खास होने वाली है. भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने जानकारी दी है कि उधमपुर- श्रीनगर- बारामूला रेलवे लिंक तैयार है और इस पर देश की 49वीं वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएगी. इस रेलवे लिंक को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बड़ा अपडेट दिया है जोकि लोगों के लिए बड़ी राहत की खबर है.

Vande Bharat Train

रेलवे मंत्री ने दी ये जानकारी

उन्होंने कहा है कि जनवरी 2024 तक पूरा रूट तैयार हो जाएगा. इसके तुरंत बाद जम्मू से श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेन चलने लगेगी. रेल मंत्री इस ट्रैक पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का ट्रायल भी कर चुके हैं. इन ट्रेनों के लिए बडगाम में एक मरम्मत कारखाना स्थापित किया गया है, जबकि इंजीनियरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह देश की पहली ऐसी वंदे भारत ट्रेन है, जिसमें 8 कोच लगाए जा रहे हैं. 272 किलोमीटर का ये पूरा रूट बिजली से चलेगा.

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रेलवे ने रामबन जिले में बनिहाल और खारी रेलवे स्टेशनों के बीच 15 किलोमीटर का परीक्षण भी पूरा कर लिया है. इस ट्रेन में सफर करने का मजा ही कुछ और होगा. यात्रियों को ऐसा महसूस होगा जैसे वे किसी यूरोपीय देश में यात्रा कर रहे हैं, जिस रूट पर यह ट्रेन चलने वाली है उस रूट पर 38 सुरंगें और 927 पुल बनाए गए हैं. कुल 272 किलोमीटर के इस मार्ग पर आधी से ज्यादा दूरी सुरंगों और पुलों पर ही तय की जाएगी.

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क्यों है ये सबसे खास

यह रेल मार्ग देश की सबसे खास रेल यात्राओं में गिना जाएगा. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ट्रेन पूरे रूट पर करीब 38 सुरंगों को पार करेगी. इन सुरंगों की कुल लंबाई 119 किलोमीटर है, जिनमें से एक सुरंग (टी- 49) की लंबाई 12.75 किलोमीटर है, जो देश की सबसे बड़ी सुरंग मानी जाती है. इतना ही नहीं, रास्ते में 927 पुल भी आएंगे, जिनकी कुल लंबाई 13 किलोमीटर मानी जाती है.

सबसे ऊंचे पुल को करेंगे पार

इसमें सबसे लंबा पुल चिनाब नदी पर बना है, जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल भी माना जाता है. इसकी लंबाई 1,315 मीटर और नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर है. इस पुल को केबलों की मदद से लटकाया गया है, जो भारत में बना पहला लटकता हुआ रेलवे पुल है.

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यात्रा का समय घटकर हो जाएगा आधा

फिलहाल, जम्मू से श्रीनगर जाने का एकमात्र रास्ता सड़क मार्ग है. लगभग 250 किलोमीटर की इस दूरी को तय करने में 6 से 7 घंटे का समय लगता है, जो कभी- कभी सर्दियों में बर्फबारी के कारण बंद हो जाता है. रेल मार्ग तैयार होने के बाद इसकी दूरी बढ़कर 272 किलोमीटर हो जाएगी, लेकिन यात्रा का समय केवल 3.5 घंटे का होगा. यानी इसमें मौजूदा समय से आधा ही वक्त लगेगा.

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