चंडीगढ़ | हरियाणा में कांग्रेस सरकार में चुने गए सहायक सूचना जनसंपर्क अधिकारियों (APRO) के अनुभव के कागजातों की जांच करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से निर्देश जारी किये गए है. जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी की खंडपीठ ने बीते 14 नवंबर को अनिल असीजा की याचिका पर सुनवाई करने के पश्चात सुनाए निर्णय में यें निर्देश दिए हैं.
इन सभी कों उस वक्त चुना गया था जब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी. इनमें से ज्यादातर डीपीआरओ बन चुके हैं. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने आरटीआई के जरिये सूचना ली तो उन्हें मिला कि कुछ चयनित उम्मीदवारों के अनुभव फर्जी हैं.
फर्जी प्रमाण पत्र वालों कों किया जाए बाहर
उसका नाम वेटिंग लिस्ट में है. याचिकाकर्ता का कहना है कि जिनके सर्टिफिकेट फर्जी है, उन्हें नौकरी से बाहर किया जाए और उसे नौकरी दी जाए. खंडपीठ ने फैसले में लिखा कि ‘वर्तमान याचिका में याचिकाकर्ता की ग्रीवांस है कि एपीआरओ पद पर प्रतिवादीगण का चयन विज्ञापन में लिखी शर्तों का उल्लंघन है. प्रतिवादीगण ने अनुभव के जो प्रमाण पत्र अटैच किए हैं, विभाग की तरफ से उन्हें नियुक्ति देने से पूर्व उनकी जांच नहीं की गई.
राज्य के वकील ने पेश किया है कि चयन किसी दूसरी एजेंसी द्वारा किया गया है इसलिए योग्यता चयन एजेंसी कों देखनी थी. प्राइवेट प्रतिवीदगणों को उनके नाम की सिफारिश मिलने पर पहले ही संबंधित विभाग ने नियुक्ति दे दी है.
उम्मीदवारों की सूचना के आधार पर किया गया नियुक्त
दूसरी तरफ, चयन एजेंसी ने कहा है कि जो सूचना उम्मीदवारों ने दी थी. उसके आधार पर उन्हें चयनित किया गया है और इस सूचना की जांच संबंधित विभाग की तरफ से चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति देने से पहले करनी थी. इन तथ्यों को देखने पर मालूम होता है कि न तो चयन एजेंसी और न ही नियुक्ति देने वाली अथॉरिटी चयनित उम्मीदवारों की तरफ से पेश दस्तावेजों की जांच यह परखने के लिए नहीं कि क्या चयनित उम्मीदवार विज्ञापन के मानदंडों को पूरा करते हैं या प्रस्तुत दस्तावेज सही हैं, जो उन्हें नियुक्त होने की अनुमति देते हैं.
अपनाई जाए उचित प्रक्रिया
ऐसे में प्रतिवादीगण के वकील ने पेश किया कि उचित प्रक्रिया के तहत जाँचना चाहिए कि क्या चयनित उम्मीदवारों की तरफ से प्रस्तुत दस्तावेज सही हैं और क्या वे विज्ञापन अनुसार शर्तें और मानदंड पूरे करते हैं. इसके बाद, इस बारे में आदेश की प्रति मिलने के तीन महीने के अंदर उचित आदेश पारित किया जाएगा. प्राइवेट प्रतिवादीगण पहले ही सर्विस में हैं और आठ साल सेवा दे चुके हैं. तथ्यों का पता लगाते वक़्त प्राइवेट प्रतिवादीगण को डिफेंड करने का अवसर प्रदान किया जाए. इसके साथ, याचिका को निपटाया जा सकता है.
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