हरियाणा में मनोहर कैबिनेट में बड़े बदलाव को लेकर संशय बरकरार, पीएम ने सीएम पर छोड़ा फैसला

चंडीगढ़ । सीएम मनोहर लाल की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद भी प्रदेश कैबिनेट में बड़े फेरबदल को लेकर संशय अभी भी बना हुआ है. खुद सीएम मनोहर लाल के अलावा प्रदेश के किसी भी नेता के पास इस बाबत कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. गठबंधन नेताओं के बयानों से भी यह संभावना जताई जा रही है कि पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को उनके हिसाब से कैबिनेट गठित करने की अनुमति दे दी है.

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जानकारी निकलकर सामने आ रही है कि पीएम मोदी ने सीएम मनोहर लाल को सलाह दी है कि वे प्रदेश के राजनीतिक हालात विशेष तौर पर किसान संगठनों के आंदोलन के अनुकूल हीं परिस्थितयों को भांपते हुए फैसला लें सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद प्रदेश में कैबिनेट फेरबदल व विस्तार की संभावनाएं बढ़ गई थी लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई जानकारी दिल्ली से चंडीगढ़ नहीं आई है.

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इस बार बड़े बदलाव के संकेत

मिली जानकारी अनुसार सीएम मनोहर लाल ने कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान अपनी कैबिनेट से लेकर पार्टी के नेताओं की भूमिका के बारे में प्रधानमंत्री मोदी से खुलकर चर्चा की है. पीएम मोदी ने सीएम को यहां तक छूट दे दी है कि जो मंत्री आम जनता के बीच अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब नहीं रहे हैं, उनकी जगह पर नए लोगों को कैबिनेट में शामिल किया जाएं. इससे स्पष्ट है कि हरियाणा कैबिनेट में इस बार बड़े फेरबदल देखने को मिल सकते हैं.

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फिलहाल कैबिनेट गठन कब तक होगा यह तो सीएम मनोहर लाल ही जाने लेकिन सरकार में भागीदारी पार्टी जेजेपी के नेता बार-बार कह रहे हैं कि कैबिनेट विस्तार तो करना ही है. खुद सीएम भी इस बात को सिरे से नकारने की बजाय सिर्फ यहीं कह रहे हैं कि गठबंधन दल को वस्तुस्थिति समझा दिया जाएगा.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गठबंधन दल के पास जितने विभाग है,नए मंत्री को उन्हीं में से विभाग दिया जाना है, इसलिए उनके पास विभाग तों अभी भी उतने ही मौजूद हैं. प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा हो रही है कि कैबिनेट विस्तार के बाद कही सहयोगी पार्टी जेजेपी से एक- दो विभाग वापस न लें लिए जाएं, इसलिए जेजेपी पार्टी के नेता दबाव बनाने में गुरेज बरतें.

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कैबिनेट विस्तार की आहट होते ही प्रदेश बीजेपी के विधायक मंत्री पद पाने की इच्छा में दिल्ली में अपने संरक्षकों से संपर्क साधने में जुट गए हैं. पिछले चार दिनों में ज्यादातर विधायकों ने इस बाबत दिल्ली में अपने संरक्षकों से संपर्क भी किया है लेकिन उन्हें कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली.

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