चंडीगढ़ | हरियाणा में मौजूदा समय में कृषि भूमि के सीमांकन और सीमांकन के लिए मनमानी वसूली को लेकर होने वाले विवादों से निजात पाने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया हरियाणा में कृषि भूमि का ड्रोन सर्वे करा रहा है. 7 हजार 115 गांवों में से 6 हजार से ज्यादा गांवों में सर्वे हो चुका है. करनाल और सोनीपत में डेटा का मिलान पूरा हो चुका है. जींद जिले में डाटा मिलान का कार्य शुरू कर दिया गया है.
केंद्र सरकार के सर्वे ऑफ इंडिया के ड्रोन सर्वे के बाद सरकार जल्द ही डेटा मिलान का काम पूरा कर लेगी. इसके बाद, किसान न केवल चिन्हांकन संबंधी विवादों का निपटारा कर सकेंगे बल्कि सर्वेक्षकों द्वारा की जाने वाली मनमानी वसूली से भी छुटकारा पा सकेंगे.
पहले लंबी प्रक्रिया से पड़ता था गुजरना
सर्वे के लिए सरकार की ओर से 7,500 रुपये का शुल्क तय किया गया है. इसके बावजूद, कई जगहों पर सर्वे के नाम पर किसानों से अवैध वसूली भी की जाती है. सीमांकन की प्रक्रिया में सुधार और स्पष्टता लाने के लिए राजस्व विभाग ने हरियाणा की कृषि भूमि के सर्वेक्षण का काम सर्वे ऑफ इंडिया को सौंपा है. गांवों में आबादी की जमीन के लिए लाल डोरा सर्वे हो चुका है. कृषि भूमि के सर्वे का काम चल रहा है.
7 हजार 115 गांवों का मिला है सर्वे का काम
भू- अभिलेख विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य में बड़े पैमाने पर कृषि भूमि की मैपिंग की जा रही है. हरियाणा के कुल 7 हजार 80 गांवों के अलावा बेचिराग गांवों समेत करीब सात हजार 115 गांवों की जमीन का सर्वे सर्वे ऑफ इंडिया को सौंप दिया गया है. विभाग की जानकारी के अनुसार, इस सर्वे में एकड़ को इकाई माना गया है. जिसमें सबसे पहले ड्रोन से राज्य का सर्वे किया जाना है जो 6 हजार से अधिक गांवों में पूरा हो चुका है.
करनाल और सोनीपत में मिलान का काम हुआ पूरा
करनाल और सोनीपत में ड्रोन सर्वे के बाद डेटा मिलान का काम पूरा हो चुका है. जींद जिले के लिए डाटा मिलान का काम शुरू कर दिया गया है. यह सर्वे पूरा होने के बाद पूरे प्रदेश का रिकार्ड एक मशीन में दर्ज हो जाएगा. खेत के एक कोने पर खड़े होकर सर्वेयर स्पष्ट रूप से निशान लगा सकेगा. इसके लिए पेड़ उठाकर खेतों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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