भिवानी | हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) से कुछ वक्त पहले ग्रुप D के विभिन्न पदों पर भर्ती की गई है. कहने को तो D ग्रुप में सरकारी नौकरी है. सुबह से शाम तक लोग ड्यूटी भी करते हैं, लेकिन नौकरी रहेगी या नहीं यह तय नहीं है और न ही वेतन मिल रहा है. बीते मार्च महीने में भर्ती हुए 1,500 युवाओं के हालात कुछ ऐसे ही बने हुए हैं. दरअसल, हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमिशन की गलती इन भर्ती हुए 1,500 युवाओं पर भारी पड़ रही है.
अब तक ना मिला वेतन
स्पोर्ट्स कोटे में भर्ती हुए इन युवाओं को नौकरी तो दी गई, लेकिन अब तक न विभाग मिला है और न ही सैलरी. अधिकारी दलील देते है कि आपके ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन की जाएगी. साथ ही, 497 युवाओं को तो यह कह दिया है कि आपकी सर्टिफिकेट ग्रेडेशन 2018 से पहले की है, जो पालिसी के तहत मान्य नहीं है. ऐसे में इन युवाओं को खतरा बना हुआ है कि कहीं उनकी नौकरी चली ना जाए.
1500 युवक हुए थे ग्रुप D में भर्ती
बीते मार्च महीने में हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन की तरफ से डी ग्रुप की भर्ती की गई थी. भर्ती किये गए युवाओं में करीब 1,500 युवक स्पोर्ट्स कोटे के थे. विभागीय गलती की वजह से इन्हें एक्स सर्विस मैन कैटेगरी में दिखा दिया गया. स्पोर्ट्स कोटे के तहत, भर्ती होने वाले युवाओं की सर्टिफिकेट ग्रेडेशन की वेरिफिकेशन से पहले ही ज्वाइनिंग करवा दी गई.
लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों के दौरान इनसे काम करवाया गया. अब यह 8 महीने से प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों में ड्यूटी दे रहे हैं, लेकिन वेतन नहीं मिल रहा. इसके साथ ही, ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन के फेर में नौकरी की सुरक्षा भी नहीं है.
HSSC ने युवाओं को एक्ससर्विस मैन की लिस्ट में डाल दिया
1500 युवा अब मंत्रियों, नेताओं और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं. ये मंत्रियों से गुहार लगा रहे है कि उनकी नौकरी सुरक्षित कर उन्हें 8 महीने का वेतन दिलाया जाए. युवा कृष्ण, अजय कुमार, रोहित, सुमेर, प्रीतम, अक्षय, सुरेंद्र, समुद्र, जसवंत, राहुल, शक्ति सिंह ने बताया कि वे स्पोर्ट्स कोटे में भर्ती हुए है. HSSC कर्मचारियों ने गलती से उन्हें एक्स सर्विस मैन की लिस्ट में डाल दिया. लोकसभा चुनाव में प्रशासनिक अधिकारियों कार्यालयों में काम पर भेज दिया. हम विधानसभा चुनाव में भी काम कर चुके है.
युवाओं को सता रहा नौकरी जाने का खतरा
8 महीने पूरे हो चुके हैं और अब तक वेतन नहीं दिया. उन्होंने बताया कि वे गांवों से है, तो किराया लगाकर आते हैं और ड्यूटी करते हैं. न उनकी कैटेगरी ठीक की जा रही है और न ही खेल के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन हो रही. नियमानुसार नियुक्ति से पहले ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की जांच होती है.
अब पालिसी का हवाला देकर कहा जा रहा हैं कि 2018 से पहले बने ग्रेडेशन सर्टिफिकेट पालिसी के तहत मान्य नहीं है. आवेदन फार्मों में ऐसी कोई शर्त नहीं थी. अब तो सभी चिंतित है कि नौकरी भी बचेगी या नहीं. न ही इस बारे में कुछ बताया जा रहा है कि उन्हें वेतन कब मिलेगा.
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