चंडीगढ़ | हरियाणा की डेंटल सर्जन भर्ती परीक्षा को लेकर चल रही जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है. यह खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को किया. ईडी ने एक फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि डेंटल सर्जन भर्ती के लिए 13 नवंबर 2021 जो प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन किया गया था उसमें से 15 उम्मीदवारों की ऑप्टिकल मार्क रिकॉगनेशन (ओएमआर शीट) के साथ छेड़छाड़ की गई थी. पंचकूला कोर्ट में ईडी ने करोड़ों रुपये के हरियाणा एचपीएससी घोटाले में दायर अपनी एफआईआर में बताया कि खाली छोड़े गए गोलों कों पूर्व उप सचिव अनिल नागर और उनका विचौलिया अश्विनी शर्मा भरते थे.
अभ्यर्थियों के पास है ओएमआर शीट की मूल और कार्बन कॉपी
अभ्यर्थियों के पास ओएमआर शीट की मूल और कार्बन कॉपी है. ED का मामला राज्य सतर्कता ब्यूरो (एसीबी) की तरफ से 17 नवंबर 2021 को नागर शर्मा अन्य के खिलाफ दर्ज की गई FIR पर आधारित है. इस मामले में कुल 330 करोड़ बरामद हुए इसमें से 1.08 करोड़ एचपीएससी कार्यालय में नागर के कमरे से मिले थे. इसके अतिरिक्त नागर के दोस्त आशीष कुमार और उनके पिता सतीश गर्ग के आवास से 66 लाख मिले जबकि अन्य 144 करोड़ (नागर के) आशीष ने सरेंडर कर दिए. इसके साथ नागर के घर से 12 लाख रुपये बरामद हुए थे.
ऑफिस से निकलने के बाद भी करते रहते थे ओएमआर शीट स्कैन
छानबीन के दौरान नागर की जेब से प्राप्त हुए कागज पर लिखे एचसीएस परीक्षा के 24 रोल नंबरो में से 15 अश्विनी शर्मा के मोबाइल फोन से बरामद डेटा से मैच करते है. ईडी ने बताया कि HPSC के कर्मचारी उप जिला अटॉनी (DDA) गौतम नारियाला सहायक जितेंद्र सिंह और स्टेनो सतपाल ने खुलासा किया था कि नागर रात 8 बजे के बाद सेवा आयोग के ऑफिस से निकलने के बाद भी ओएमआर शीट को स्कैन करते रहते थे.
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