चंडीगढ़ | हरियाणा में स्कूल मर्जर की खबरों को लेकर चल रही अटकलों पर संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग ने विभागीय स्थिति को स्पष्ट किया है. शिक्षा विभाग ने जानकारी देते हुए बताया कि अनावश्यक रूप से किसी भी स्कूल को मर्ज नहीं किया जा रहा है. केवल उन्हीं स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है जिनमें स्टूडेंट्स की संख्या का आंकड़ा 20 से कम है.
शिक्षा विभाग का कहना है कि ऐसे स्कूल जो एक ही वार्ड या गांव के तीन किलोमीटर के दायरे में आते हैं, उन्हीं को मर्ज किया जा रहा है ताकि स्टूडेंट्स को अध्यापकों की कमी से जूझना न पड़े. विभाग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि रेशनेलाइजेशन का बड़ा फायदा यह पहुंचेगा कि इससे अधीनस्थ स्कूलों के हेड का न केवल बोझ कम होगा, बल्कि वो स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए ज्यादा समय दे पाएंगे.
बता दें कि छात्र- शिक्षक अनुपात में सुधार लाने के लिए रेशनेलाइजेशन या स्कूल मर्जर का कदम सरकार द्वारा पहली बार नहीं उठाया जा रहा है. इससे पहले साल 2013 में भी करीब 800 स्कूलों को रेशनेलाइजेशन के दायरे में लाया गया था. केन्द्र सरकार द्वारा लाई जा रही नई शिक्षा नीति के तहत हर छात्र को ना केवल अध्यापक उपलब्ध होंगे , बल्कि स्टूडेंट्स को भी पढ़ाई का पहले से ज्यादा समय मिल सकेगा.
जिन 97 स्कूलों को 20 से कम छात्रों की संख्या होने पर मर्ज किया गया है, उन स्कूलों में यदि बच्चों के एडमिशन की संख्या का आंकड़ा बढ़ता है तो फिर से खोलने का शिक्षा विभाग द्वारा आश्वासन भी दिया गया है. वहीं सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए भी शिक्षा विभाग गंभीर प्रयास कर रहा है.
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