हरियाणा के सरकारी स्कूलों में सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था, रेटिंग सिस्टम होगा लागू; समझे अपडेट

चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार (Manohar Govt) ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) की फटकार के बाद सूबे के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में हरसंभव प्रयास करने शुरू कर दिया है. इस दिशा में प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक स्तर और अन्य गतिविधियों की जांच के लिए अब रेटिंग सिस्टम लागू किया जाएगा. कॉलेजों की तर्ज पर स्कूलों की भी रेटिंग करने का निर्णय सरकार ने लिया है.

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पहले चरण में आरोही मॉडल स्कूलों, मॉडल संस्कृति स्कूलों और पीएमश्री स्कूलों में प्रमाणीकरण (एक्रीडेशन) का काम शुरू किया गया है. इसके बाद, इसे प्रदेश के सभी स्कूलों में लागू किया जाएगा. हालांकि, शुरूआती दौर में इस काम में कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है लेकिन शिक्षा विभाग उन्हें दूर करने में जुटा हुआ है.

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इन समस्याओं से पड़ रहा है जूझना

हरियाणा प्राइमरी टीचर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष हरीओम राठी ने बताया कि स्कूलों में कंप्यूटर सिस्टम और ऑपरेटर नहीं होने की वजह से ऑनलाइन स्व- मूल्यांकन के काम में बाधा उत्पन्न हो रही है. ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग ने स्व- मूल्यांकन के लिए अंतिम समय सीमा बढ़ाते हुए 28 दिसंबर तक कर दी है. हालांकि, इसके बाद भी अधिकांश स्कूल मुखियाओं की समस्या कम नहीं हो रही है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर स्कूलों में ना तो कम्प्यूटर है और ना ही ऑपरेटर. क्लर्क, सिक्योरिटी गार्ड और फुल टाइम स्वीपर की पोस्टें भी खाली पड़ी है.

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चुनावी ड्यूटी में तैनात टीचर

हरिओम राठी ने कहा कि मॉडल संस्कृति स्कूलों के मुखियाओं पर कक्षा पढ़ाने का भी दायित्व है. इन स्कूलों में छात्रों की संख्या के आधार पर पांच से 35 तक सेक्शन हैं. इन कक्षाओं की निगरानी एवं स्कूल की सभी व्यवस्थाएं को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्कूल मुखिया को कक्षा के दायित्व से मुक्त रखना होगा. इसके अलावा, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए अधिकतर प्राइमरी शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी व अन्य गैर- शैक्षणिक ड्यूटियों पर लगाया हुआ है.

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उन्होंने कहा कि शिक्षकों की चुनाव कार्यों के लिए ड्यूटी से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. शिक्षा विभाग को पहले शिक्षकों को गैर- शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति देनी चाहिए और साथ ही राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इसके बाद ही, रेटिंग सिस्टम लागू होना चाहिए.

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