चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है. इसके लिए सरकार ने कई योजनाओं को भी लागू किया है और उसे जमीनी स्तर पर भी उतारा है. जिससे इसका लाभ किसानों को तो मिल ही रहा है. साथ ही वातावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई है. जिसका लाभ किसान उठा रहे हैं.
हरियाणा में पराली जलाने की समस्या से निजात पाने के लिए मनोहर लाल खट्टर सरकार किसानों को पैसा दे रही है. राज्य सरकार के ताजा फैसले से पराली जलाने की जरूरत नहीं है और ऐसे में इससे होने वाले प्रदूषण से लोगों को राहत मिल रही है. दरअसल, पराली नहीं जलाने वाले किसानों को हरियाणा सरकार आर्थिक मदद देती है.
सरकार के इस निर्णय के अनुसार यदि किसान स्ट्रॉ बेलर की सहायता से गांठें या गांठें बनाकर औद्योगिक इकाइयों को खेतों में पड़े भूसे को देते हैं, तो उन्हें प्रति एकड़ 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इसके लिए हरियाणा की खट्टर सरकार ने 230 करोड़ रुपए का बजट रखा है. आपको बता दें कि स्ट्रॉ बेलर एक ऐसी मशीन है जो आसानी से खेत में पड़े भूसे के बंडल बना देती है.
मुख्यमंत्री श्री @mlkhattar के कुशल नेतृत्व की ही बानगी है कि हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है।
हरियाणा सरकार की कारगर नीतियों ने न सिर्फ़ किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम किया है बल्कि उन्हें जागरूक भी किया है। pic.twitter.com/fZCeU7mV1r
— CMO Haryana (@cmohry) November 6, 2022
सरकार द्वारा किए गए कारगर उपाए
- पराली न जलाने पर 1000 प्रति एकड़
- रूपये 50 प्रति क्विंटल इंसेंटिव
- पराली के गांठ बनाने वाले बेलर यंत्रों पर सब्सिडी
- फसल अवशेष प्रबंधन उपकरणों पर 50% सब्सिडी
- कस्टम हायरिंग सेंटर पर 80% सब्सिडी
- इथेनाल संयंत्रों को गांठ देने पर 2000 प्रति एकड़
- गौशालाओं को पराली देने पर 15 सौ का प्रोत्साहन
- मशीनरी के लिए परिचालन शुल्क
- पराली न जलाने वाली पंचायतों को नकद पुरस्कार
- बायोमास बिजली परियोजनाओं में लाखो टन धान की भूसी का प्रयोग
- सरकार द्वारा पराली नष्ट करने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल की ढाई लाख की कीटों का वितरण