चंडीगढ़ | पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने 8 साल की बच्ची को एक तरह से नया जीवन दिया है. बच्ची का हाथ मशीन से कटकर अलग हो गया था, जिसे डॉक्टरों ने दोबारा जोड़ा है. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर की 8 साल की बच्ची का पीजीआई चंडीगढ़ के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने 11 घंटे में कटा हुआ हाथ जोड़कर इतिहास रच दिया है.
सबसे कम उम्र की बच्ची का कटा हुआ हाथ जोड़कर पीजीआई पूरे उत्तर भारत में ऐसा करने वाला पहला चिकित्सा संस्थान बन गया है. पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड प्रोफेसर आर के शर्मा ने बताया कि पीजीआई में इस प्रकार की जटिल सर्जरी पूरी तरह से कामयाब हो रहीं हैं, उसका कारण है कि प्लास्टिक सर्जरी के क्षेत्र में पीजीआइ समय समय पर नई तकनीक अपना रहा है.
पीजीआइ के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर एस त्रिपाठी, डॉ जेरी आर जोहन और प्रोफेसर अतुल पराशर की निगरानी में इस बच्ची की सर्जरी की गई थी. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से ये बच्ची बीते 25 जून को हादसे के छ से सात घंटे के अंतर्गत पीजीआइ के एडवांस ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए लाई गई थी. यहां 10 दिन तक चले बच्ची के इलाज के बाद दोबारा नया जीवन दिया गया. दरअसल बच्ची की सर्जरी कर 11 घंटे में कटा हुआ हाथ दोबारा जोड़ दिया गया है.
डॉक्टर एस त्रिपाठी ने बताया कि जब बच्ची की सर्जरी की गई, उस दौरान उसके कटे हुए हाथ में 20 जगहों पर सर्जरी की गयी. कटे हुए हाथ की कलाई को दोबारा जोड़कर उसकी नसों और हड्डियों को दोबारा जोड़ा गया. यहां तक की प्लास्टिक सर्जरी के जरिए बच्ची की कटी हुई स्किन को भी दोबारा जोड़ा गया.
बता दें कि बच्ची का पशुओं के लिए चारा काटने वाली मशीन में हाथ आ गया था. इस वजह से बच्ची का हाथ कट गया था. ऐसे में बच्ची को फौरन पीजीआई इलाज के लिए लाया गया था. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि इस प्रकार के हादसे के बाद सात से आठ घंटे के अंतर्गत अगर कटे हुआ अंग को फौरन इलाज मिल जाए, तो उसे शरीर के साथ दोबारा जोड़ा जा सकता है.
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