चंडीगढ़ | आधुनिकता के इस युग में किसान परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बागवानी और ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. नई- नई तकनीकों का इस्तेमाल कर कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. इन्हीं तकनीकों में से एक इंटर क्रॉपिंग फॉर्मिंग भी है, जिसको अपनाकर हरियाणा का एक किसान चरण सिंह अच्छा- खासा मुनाफा कमा रहा है.
किसान ने बताई सफलता की कहानी
चरण सिंह ने बताया कि परम्परागत खेती से कोई खास आमदनी नहीं हो रही थी तो उन्होंने इंटर क्रॉपिंग फॉर्मिंग की तरफ कदम बढ़ाए. अदरक, प्याज, टमाटर, हरा धनिया, लहसुन समेत कई अन्य सब्जियों और फलों की खेती कर अपनी आमदनी को दोगुना तक बढ़ा दिया. इस खेती के सहारे उसके परिवार का पालन- पोषण काफी अच्छे तरीके से हो रहा है. इस खेती से उसके लाइफस्टाइल में एकदम से बदलाव हुआ है.
क्या है इंटर क्रॉपिंग फॉर्मिंग?
इंटर क्रॉपिंग फॉर्मिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि किसानों को अपने लाभ और मुनाफे के लिए किसी सीजन का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं होती है. इस तकनीक से खेती कर किसान पूरी साल मुनाफा कमा सकते हैं. इस तकनीक में मुख्य फसल की एक कतार के बाद अंतरफसल की तीन कतारें लगा सकते हैं. अंतरफसल फसलों को पारस्परिक लाभ प्रदान करने में भी मदद करती है. उदाहरण के लिए, अनाज, सब्जियों के साथ बढ़ती फलियां मिट्टी में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक करेंगी और इस तरह आसपास के पौधों के लिए नाइट्रोजन में सुधार होगा.
अंतर फसल की योजना बनाते समय उन फसलों का चयन करना महत्वपूर्ण है जो अंतरिक्ष, पोषक तत्व, पानी या सूरज की रोशनी के लिए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं. गहरी जड़ें वाली फसलों के साथ उथली जड़ें वाली फसलों को उगाने की सलाह दी जाती है. एक छोटे पौधे के साथ लंबी फसल, प्रकाश के साथ छाया प्यार संयंत्र की आवश्यकता होती है, देर से परिपक्व फसलों के साथ जल्दी परिपक्व फसल आदि. इस तरह की योजना से कई फसलों से किसानों के लिए अतिरिक्त उपज लाभ सुनिश्चित होगा.
मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी
इंटर क्रॉपिंग तकनीक से की गई खेती, एकल फसल की तुलना में अधिक फायदा देती है. साथ ही, मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी. दरअसल, पोषक तत्वों का अवशोषण मिट्टी की दोनों परतों से होता है. ऐसे में इंटर क्रॉपिंग तकनीक मृदा अपवाह में कमी और खरपतवारों को नियंत्रित करने में मददगार होती है. ऐसे में नकदी फसलों के साथ अंतरफसल करना बेहद ही मुनाफे वाला सौदा है.
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