चंडीगढ़ | एक साल से अधिक चला किसान आंदोलन स्थगित हो गया है. किसानों की मांगों को लेकर सरकार तथा किसान नेताओं में सहमति बन गई थी. जिसके कारण दिल्ली के सभी बॉर्डर्स से किसान धरना समाप्त कर घर की ओर रवाना हो गए थे. लेकिन अब हरियाणा और पंजाब में किसान एक बार फिर से आंदोलन शुरू कर सकते हैं. इस बार इस आंदोलन का प्रमुख मुद्दा टोल टैक्स की दरें बढ़ना बताया जा रहा है. वही किसान नेताओं का यह कहना है कि यदि टोल की दरें बढ़ाई गई तो वे फिर से आंदोलन शुरू करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
जानिए विस्तार से
आपको बता दें कि साल भर से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन के दौरान किसानों ने सभी टोल बंद रखे थे. किंतु गरबा आंदोलन वापसी के बाद अधिकतर टोल प्लाजा शुरू कर दिए गए हैं. टोल प्लाजा शुरू करने के बाद से ही अब टोल की दरें बढ़ने की तैयारी टोल कंपनियां कर रही है. आपको बता दें कि पंजाब में टोल दर बढ़ाने को लेकर किसानों ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए 20 दिसंबर को ट्रेन रोकने का ऐलान भी कर दिया है.
ऐसे में किसानों ने प्रदेश भर में टोल की दरें बढ़ाने के विरोध के सुर तेज कर दिए हैं. इस विषय पर किसानों ने बैठक लेकर जल्द फैसला लेने की बात भी कही है. ज्यादातर किसान नेताओं का कहना है कि टोल की दर बढ़ गई तो वे आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं.
हरियाणा के किसान भी पंजाब के किसानों के साथ खड़े
एक साल से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन के बाद जैसे ही टोल प्लाजा शुरू हुए हैं. उसके साथ ही टोल टैक्स की दरों में वृद्धि भी हो गई है. हालांकि यह टोल दर्द मार्च महीने में ही बढ़ा दी गई थी. किंतु अब टोल शुरू होने पर लोगों को पहले के मुकाबले अधिक पैसा देना पड़ रहा है. इस पर पंजाब के किसानों ने 20 दिसंबर को आंदोलन का आह्वान भी किया है. ऐसे में हरियाणा के किसान भी पंजाब के किसानों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.
जानिए क्या बोले किसान नेता
टोल की दरों के बढ़ने के विषय पर हरियाणा तथा पंजाब के किसान नेताओं ने अपनी-अपनी बात कही है. पढ़िए नीचे पूरे बयान
“टोल की दर बढ़ाना सरासर गलत है. इसका सीधा असर आमजन पर पड़ता है. सरकार व कंपनियों की तरफ से टोल बढ़ाकर आमजन पर महंगाई को थोपने का प्रयास किया जा रहा है. शनिवार को चंडीगढ़ में भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में एक बैठक होगी, जिसमें सभी जिलाध्यक्ष हिस्सा लेंगे. बैठक में टोल की दरें बढ़ाने के मुद्दे पर भी विचार किया जाएगा. इसके बाद यूनियन की ओर से जो फैसला लिया जाएगा, उसी के अनुसार आगे की रणनीति बनाई जाएगी.” – सत्यवान नरवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाकियू (चढूनी)
“टोल की दर बढ़ाना गलत है. इसे किसी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा. किसान नेता राकेश टिकैत इस पर पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर टोल की दर बढ़ाई गई तो वह आंदोलन फिर से शुरू करने को विवश होंगे. इसके लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी. टोल का सीधा आम आदमी पर पड़ता है. टोल कंपनी पहले ही जमकर मुनाफा कमा रही है. ऐसे में टोल की दर बढ़ाई तो विरोध किया जाएगा. इसे लेकर जल्द यूनियन पदाधिकारियों संग बैठक कर आगामी फैसला लिया जाएगा” – डॉ. राजेश दहिया, राष्ट्रीय प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन (अंबावता)
जानिए टोल बढ़ने पर क्या जताई चिंता
किसान नेता शमशेर सिंह दहिया ने कहा “कोरोना के चलते पहले ही आम आदमी के लिए जीवनयापन करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में टोल की दर बढ़ाई तो उसका असर भी आम जनता पर पड़ेगा, जिसका विरोध किया जाएगा. किसान आंदोलन से सभी को एकजुटता के महत्व का पता लग चुका है. अब आम आदमी के साथ गलत हुआ तो सभी मिलकर विरोध करेंगे. टोल बढ़ाया गया तो इस पर पदाधिकारी बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे.”
टोल की पारदर्शिता होनी चाहिए तय
“टोल टैक्स बढ़ाने पर पंजाब के किसानों ने आंदोलन का आह्वान किया है. हरियाणा के किसान भी इस पक्ष में हैं कि अनावश्यक रूप से टोल दर नहीं बढ़ाई जाएं. इसके अलावा टोल की पारदर्शिता भी तय हो. सरकार को बताना चाहिए कि किस टोल कंपनी को कब तक का ठेका दिया गया है. इसके अलावा यहां होने वाली आय व करार की भी जानकारी सार्वजनिक हो.” – फूल सिंह श्योकंद, राज्य प्रधान, अखिल भारतीय किसान सभा.
20 दिसंबर को करेंगे मीटिंग
इस विषय पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन किसान टोल दर बढ़ाने के विरोध में हैं. ऐसे में 20 दिसंबर को जींद में भारतीय किसान यूनियन के राज्य प्रधान रतन मान आ रहे हैं. उस दिन मीटिंग होनी है. इसमें इस विषय पर चर्चा होगी. यदि इससे पहले भी नेताओं की तरफ से कोई आह्वान आता है तो आंदोलन किया जाएगा. – छाज्जूराम कंडेला, प्रदेश प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन.
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