चंडीगढ़ | दिल्ली एक बार फिर छावनी में तब्दील हो गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसानों का मार्च शुरू हो गया है. आंदोलन को देखते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की सीमाएं सील कर दी गई हैं. दिल्ली में सख्त बैरिकेडिंग की गई है. एक महीने के लिए धारा 144 भी लगाई गई है. प्रशासनिक व्यवस्था दूरूस्त कर दी गई है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हर चीज का समाधान बातचीत से होना चाहिए. कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनके समाधान के लिए एक समिति बनाने की जरूरत है.
5 घंटे तक चली थी बैठक
आपको बता दें कि 12 फरवरी की रात चंडीगढ़ में साढ़े 5 घंटे तक चली बैठक में किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून और कर्ज माफी पर सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद, किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंधेर ने दिल्ली मार्च का ऐलान किया.
उन्होंने किसानों को पंजाब- हरियाणा के शंभू, खनौरी और डबवाली बॉर्डर पर इकट्ठा होने के लिए कहा है. पंढेर ने कहा सरकार किसानों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार के मन में खोट है. वह सिर्फ टाइम पास करना चाहती है. हम सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेंगे, लेकिन आंदोलन पर कायम रहेंगे.
2 साल पहले भी चला था आंदोलन
गौरतलब है कि 2 साल पहले भी किसान आंदोलन चला था. इससे पहले 17 सितंबर 2020 को किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन शुरू किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी. इसके बाद किसानों ने 11 दिसंबर को आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था. यह आन्दोलन लगभग 378 दिनों तक चला था. किसान संगठनों के मुताबिक, आंदोलन में 700 किसानों की मौत हुई थी.
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