हरियाणा के कपास उत्पादक किसानो के लिए खुशखबरी, अब ख़राब फसल का मिलेगा इतना मुआवजा

चंडीगढ़ | हरियाणा में गुलाबी सुंडी के कारण कपास की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. इसलिए अब किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. अब उनकी मांग के बाद हरियाणा सरकार ने इसकी घोषणा की है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के जिन जिलों में गुलाबी सुंडी से कपास की फसल खराब हुई है, वहां मुआवजा दिया जाएगा.

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इतना मिलेगा मुआवजा

इसके लिए ई- मुआवजा पोर्टल खोला गया है. सरकार ऐसे किसानों को 7,500 से 15,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देगी. इसी तरह जिन किसानों ने धान की दोबारा रोपाई की थी और बाढ़ के कारण फसल खराब हो गई, उन्हें भी 7,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाएगा.

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सीएम ने कही ये बातें

सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों द्वारा क्लस्टर बनाए गए थे लेकिन बीमा कंपनियां हर जगह नहीं पहुंच सकीं और फसल ऋण पर बीमा प्रीमियम बैंकों द्वारा काट लिया गया. ऐसी शिकायतें मिली हैं और इनके समाधान के लिए बैंकों से बात की जाएगी. प्रभावित किसानों को 15,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से विशेष पैकेज दिया जाएगा. इसके अलावा, फसली ऋण नहीं लेने वाले किसानों को राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग के नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा.

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अब खाली जमीन भी पोर्टल पर होगी दर्ज

सीएम ने कहा कि पहले मेरी फसल- मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसान केवल उन्हीं फसलों का पंजीकरण कराते थे जो एमएसपी पर खरीदी जाती थीं. बाजरे के मामले में राजस्थान एवं अन्य राज्यों के किसानों से भी पंजीकरण को लेकर शिकायतें प्राप्त हुई हैं. इसलिए अब शत- प्रतिशत रकबे की रजिस्ट्री होगी, भले ही जमीन खाली हो.

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बाजरे का ये है एमएसपी

दूसरी तरफ बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,500 रूपये प्रति क्विंटल है. हैफेड द्वारा 2,200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यवसायिक खरीद की जा रही है. 300 रुपये के अंतर की भरपाई सरकार द्वारा भावांतर मुआवजा योजना के तहत की जा रही है. NAFED ने 2.5 लाख मीट्रिक टन बाजरा खरीदने का लक्ष्य रखा है. सरकार ने इस कोटा को बढ़ाने का अनुरोध किया है. इस बार प्रदेश में 6 लाख मीट्रिक टन बाजरा पैदा होने का अनुमान है.

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