चंडीगढ़ | कई बार किसानों को मजबूरन अपनी जमीन बेचनी पड़ जाती है और उनको अच्छे दाम भी नहीं मिल पाते हैं. इसके लिए हरियाणा सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिससे अब किसानों को किसी भी समय जमीन बेचने पर उसका उचित मूल्य मिल पाएगा. हरियाणा में भूमि बैंक बनने जा रहा है. 5 अगस्त गुरुवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई. इस बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.
बैठक में ‘बोर्डों एवं निगमों सहित सरकारी परियोजनाओं के लिए भूमि बैंक सृजित करने और विकास परियोजनाओं के लिए उनका निपटान नीति’ को स्वीकृति दी गई है. इस नीति के तहत, किसान पहले सरकार को संभावित खरीददार के रूप में अपना प्रस्ताव दे सकता है.
इसके साथ ही किसान राज्य सरकार को किसी विशेष स्थान पर विकास परियोजना के लिए भूमि का चयन करने का परामर्श भी दे सकते हैं. इसके लिए सरकारी विभागों, बोर्डों एवं निगमों के लिए भूमि बैंक सृजित करने और उनके निपटान में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक नीति तैयार की गई है. इस नीति के लिए तीन समितियां भूमि एवं दर जांच समिति, भूमि बैंक समिति और उच्चाधिकार प्राप्त भूमि बैंक समिति का गठन किया जाएगा.
भूमि बैंक बनाने का उद्देश्य
नीति लाने को लेकर सरकार का कहना है कि कई बार भूमि मालिकों को बाजार में बिचौलियों के दबाव या मजबूरन अपनी जमीन की बिक्री करनी पड़ती है. वहीं, विभिन्न विभागों को दिन-प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करने के लिए जलघरों, बिजली सब-स्टेशनों, कॉलेज और उच्च शिक्षा के अन्य विशिष्ट संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए भूमि उपलब्ध करवाने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है. भूमि बैंक से योजनाएं जल्दी जमीनी स्तर पर शुरू होंगी क्योंकि सरकार को पता होगा कि इनके पास कहां-कहां खाली जमीन है और जमीन के मालिक को अच्छा रेट भी मिलेगा.
ऑनलाइन पोर्टल पर करना होगा आवेदन
जमीन की मजबूरन बिक्री को रोकने के लिए किसानों के पास हरियाणा में अपनी भूमि के लिए निदेशक भूमि अभिलेख के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करने का विकल्प होगा. इसके लिए उन्हें मोलभाव करने लायक मूल्य सहित भूमि का पूरा विवरण देना होगा. इसके अलावा, राजस्व विभाग इस भूमि को सरकार के सभी विभागों और बोर्डों एवं निगमों की वर्तमान और भावी आवश्यकताओं के लैंड बैंक में रखेगा और संबंधित नियमों, स्थायी आदेशों व नीतियों के अनुसार उनकी कीमत, यदि कोई हो तो उसके अनुसार उन्हें हस्तांतरित करेगा.
नीति की मुख्य विशेषताएं
विभिन्न सरकारी विभागों और उनके बोर्डों और निगमों की अप्रयुक्त भूमि को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की मदद से तहत एक स्थान पर एकत्र किया जाएगा. राजस्व इस पॉलिसी का नोडल विभाग होगा.
हरियाणा बेनामी संपत्ति (प्रबंधन एवं निपटान) अधिनियम, 2008 (2008 की हरियाणा अधिनियम संख्या 7) और हरियाणा बेनामी संपत्ति (प्रबंधन एवं निपटान) नियम, 2011 में राज्य सरकार के किसी भी विभाग, बोर्ड और निगम के लिए बातचीत के माध्यम से बिक्री का प्रावधान है. इसमें नजूल भूमि (हस्तांतरण) नियम, 1956 के तहत राजस्व विभाग द्वारा अपनी योजनाओं के लिए नगरपालिका सीमा के भीतर और उससे दो मील की दूरी बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है तो इसे सरकारी विभागों को स्थानांतरित किया जा सकता है.
पंजाब ग्राम सांझा भूमि (विनियमन) अधिनियम, 1961 (1961 का पंजाब अधिनियम संख्या 18) और पंजाब ग्राम सांझा भूमि (विनियमन) अधिनियम,1964 में किसी भी सरकारी विभाग, सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कार्यालय भवन के लिए किसी पंचायत की ‘शामलात देह’ में जमीन बेचने का प्रावधान है. इसमें बोर्डों और निगमों सहित सभी विभाग ऐसी भूमि का पता लगाने का प्रयास करेंगे और राजस्व विभाग ऐसी सभी भूमि को उनके इष्टतम उपयोग के लिए भूमि बैंक में रखेगा.
हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 (1973 का हरियाणा अधिनियम संख्या 24) और हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 (1994 का हरियाणा अधिनियम संख्या 16) में अचल संपत्ति को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का प्रावधान है. इसमें बोर्डों और निगमों सहित सभी विभाग ऐसी भूमि का पता लगाने का प्रयास करेंगे और राजस्व विभाग ऐसी सभी भूमि को उनके इष्टतम उपयोग के लिए भूमि बैंक में रखेगा.
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