चंडीगढ़ | खेती से जुड़े किसानों के मन में अक्सर यह सवाल होता है कि कौन सी ऐसी फसल है, जो उनकी आमदनी को बढ़ा सकती है. इस कठिन सवाल का जवाब आज हम आपको इस खबर के माध्यम से देंगे. बता दें कि इन दिनों अपनी महक और स्वाद तथा पोषक तत्वों के लिए जाने वाली कालानमक फसल पूरे देश में प्रचलित है. अक्सर किसान इसकी कम पैदावार होने के कारण इस फसल की खेती नहीं करते हैं. लेकिन अब कालानमक की खेती करके किसान अपने खेतों में उत्पादन को लगभग दोगुना कर सकते हैं.
कालानमक की खेती अपनी विशेष सुगंध और पोषक तत्व के कारण जानी जाती है. यह फसल देशभर के किसानों को मालामाल करने वाली है. बता दें कि काला नमक की खेती में तकरीबन 30 से 40 हजार रूपए खर्च आता है. इस फसल का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल होता है. लेकिन कालानमक की खेती से प्रति हेक्टेयर 45 से 50 क्विंटल तक का उत्पादन होगा. इसकी लागत भी उतनी ही लगती है.
कृषि अनुसंधान संस्थान ने की इस पर रिसर्च
दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने उत्तर प्रदेश के तकरीबन 11 जिलों में काला नमक फसल पर परीक्षण किया है. इस परीक्षण में यह पता चला कि बोना धान की सबसे अधिक पैदावार हुई है. जिसके फलस्वरूप किसानों को यह सुझाव दिया जाता है कि वह बोना कालानमक फसल का अपने खेत में उत्पादन करें. जिससे किसानों की आय इस फसल के उत्पादन से लगभग दोगुनी हो जाएगी.
इस कारण से होता है दो गुना उत्पादन
बता दें कि बोना कालानमक फसल के पौधे अन्य फसलों की तुलना में काफी छोटे बस होते हैं. जिसके कारण इन पर हवा का दबाव कम पड़ता है. वहीं पुरानी कालानमक का पौधा काफी लंबा होता है. जिसके कारण हवा का दबाव उस पर पड़ता है और इसकी फसल नीचे गिर जाती थी और उत्पादन काफी कम होता था. लेकिन अब बोना कालानमक का उत्पादन काफी अच्छा होगा.
बोना कालानमक की खासियत
कालानमक फसल की महक स्वाद व चावल में पोषक तत्वों की मात्रा भी पुराने काला नमक के बराबर ही है. साथ ही इसका उत्पादन भी दोगुना होता है. ऐसे में किसान काला नमक की खेती की तरफ आकर्षित होंगे और कालानमक का क्षेत्रफल बढ़ेगा, जिसके कारण इसकी बिक्री भी बढ़ेगी और किसानों को इसका भरपूर लाभ होगा.
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