बैंक और बीमा कंपनियों के बीच विवाद में पीस रहा किसान, सरकार की सख्ती से बढ़ी उम्मीदें

चंडीगढ़ | हरियाणा का किसान बीमा कंपनियों व बैंकों के विवाद के बीच पीस कर खड़ा हो गया है. बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा कराने वाले करीब 93 हजार किसानों के 130 करोड़ रुपए बीमा कंपनियों में फंसे हुए हैं. बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि और प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई थी लेकिन तीन साल से किसान मुआवजे की आस में बीमा कंपनियों की ओर देख रहे हैं.

SAD KISAN

किसानों की मांग पर अब हरियाणा सरकार ने सख्ती दिखाते हुए इस विवाद को निपटाने की कोशिशें शुरू कर दी है. बीमा राशि देने में आनाकानी कर रही बीमा कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जल्द से जल्द किसानों का भुगतान करें. अगर बीमा कंपनी प्रीमियम भुगतान नहीं करती है तो संबंधित बैंकों को किसान के नुकसान की भरपाई करनी होगी. सरकार ने बाकायदा इसके लिए कृषि अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है.

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बता दें कि किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने नौ फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल किया है. इसके बावजूद बीमित कंपनियां किसानों की मुआवजा राशि को लटकाने से पीछे नहीं हट रहीं. दरअसल, मुआवजे के लिए जूझ रहे अधिकतर किसान बैंक और कंपनियों के विवाद में फंसे हैं. प्रदेश सरकार ने दो बीमा कंपनियों को नामित किया हैं और अलग-अलग जोन में यह बीमा कंपनियां फसलों का बीमा करती हैं. मगर बीमा कंपनियों व बैंकों के बीच विवाद के चलते किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.

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कृषि मंत्री ने दिए विवाद सुलझाने के निर्देश

बीमा कंपनियों और बैंकों के बीच चले आ रहे इस विवाद को सुलझाने के लिए सूबे के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कृषि विभाग और केंद्र सरकार की कृषि बीमा कंपनियों के अधिकारियों की बैठक लेकर जमीन, फसल, समय पर प्रीमियम इत्यादि की जानकारी के आंकड़ों को आपस में इंटीग्रेट करने के निर्देश दिए थे. साथ ही, उन्होंने पिछले तीन-चार सालों से लंबित मामलों को भी जल्द निपटाने के निर्देश देते हुए दोनों पक्षों को सकारात्मक समाधान ढूंढ़ने को कहा था.

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