चंडीगढ़ | हरियाणा में किसानों ने इस बार सरसों की फसल की अधिक बुआई की है. प्रदेश में किसानों का रुझान इस पर सरसों की फसल की तरफ ज्यादा बढ़ा है आपको बता दें कि पहले सरसों की फसल की बुवाई बहुत कम किसान करते थे. लेकिन इस साल सरसों की बुवाई में 40% तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है. पिछले बरस सरसों की बिक्री समर्थन मूल्य से अधिक कीमतों पर हुई थी. जिसके कारण इस बार सरसों की फसल की और ज्यादा किसान आकर्षित हुए हैं.
जानिए विस्तार से पूरी खबर
आपको बता दें कि सरसों की फसल हरियाणा के अधिकतर जिलों में पिछले वर्षों की तुलना में काफी ज्यादा उगाई गई है. जिसका प्रमुख कारण माना जा रहा है कि पिछले वर्ष सरसों की फसल की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिक रही थी. जिसके कारण प्रदेशभर के किसानों ने इस बार सरसों की फसल की 40 फ़ीसदी ज़्यादा बुवाई की है.
दूसरा प्रमुख कारण यह है कि सरसों की फसल कम लागत में अच्छी उपज देती है. इसके साथ ही कम पानी में भी सरसों की फसल अच्छी हो जाती है. सरसों की फसल का दाम भी अच्छा मिलता है. जिसके कारण पिछले साल के मुकाबले किसानों ने इस बार सरसों की फसल की अधिक बुवाई की है. सरसों की फसल में खाद भी कम मात्रा में लगती है.
जाने कृषि विभाग ने क्या दी जानकारी
कृषि विभाग के अनुसार पिछले साल ब्लाक बराड़ा में सरसों की फसल की 1150 एकड़ जमीन में बुआई की गई थी. इस बार यह बढ़कर 1600 एकड़ जमीन में बोवनी की गई है. यानि कि इस बार करीब 450 एकड़ ज्यादा जमीन में बुआई की गई है. यही कारण है कि इस बार किसानों का रुझान सरसों की फसल के प्रति बढ़ा है.
पिछले वर्ष भी MSP से अधिक में बिकी थी, सरसों
हरियाणा के अधिकतर किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष सरसों की फसल एमएसपी से अधिक कीमतों पर भी की थी. वहीं सरसों की फसल न्यूनतम लागत में ही लग जाती है. किसानों ने बताया कि एक एकड़ जमीन में सरसों का बीज 1 से 2 किलो लगता है. वहीं सरसों की फसल में एक-दो सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. क्षेत्र में एक एकड़ में सरसों की फसल 2 क्विंटल से लेकर 8 क्विंटल तक निकल जाती है. सरसों की फसल में अन्य खर्चे भी कम होते हैं. जिसके कारण किसानों का रूझान सरसों की फसल की ओर बढ़ा है. तथा अधिक मात्रा में सरसों की बुआई की गई है. किसानों ने बताया कि पिछले साल सरसों की फसल का सरकार द्वारा तय समर्थन मूल्य 4650 रुपये था. लेकिन मंडी से बाहर सरसों की फसल 7500 रुपये तक बिकी. वहीं इस बार सरसों का तय समर्थन मूल्य पिछले साल 4650 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5050 रुपये तय किया गया है.
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