हरियाणा में डीएपी खाद की किल्लत,अगेती सरसों व आलू बिजाई वाले किसानों को आ रही है दिक्कत

चंडीगढ़ । हरियाणा में डीएपी खाद की किल्लत को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. कही पुलिस सुरक्षा के बीच खाद बांटा जा रहा है तो कही लाइनों में बुजुर्ग व महिलाएं खाद के लिए घंटों-घंटों इंतजार करते हुए नजर आए. गांवों में स्थित सहकारी समितियों में खाद आपूर्ति नहीं होने के चलते किसानों को मजबूरन दूसरे जिलों का रुख करना पड़ रहा है. हिसार, भिवानी, महेन्द्रगढ़,पलवल आदि जिलों में सरसों की अगेती बुआई का समय नजदीक है लेकिन उन्हें डीएपी खाद नहीं मिल रहा है.

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इसी तरह पानीपत, करनाल, अंबाला जिलों में आलु बिजाई के लिए किसानों को डीएपी खाद की जरूरत है लेकिन खाद को लेकर किसानों को भटकना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार दावा करते हुए कह रही है कि खाद की कोई कमी नहीं है बल्कि विपक्ष भ्रम फैलाकर किसानों को गुमराह कर रहा है. लेकिन जमीनी हकीकत पर नजर डाली जाए तो किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रही है.

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बता दें कि प्रदेश में गेहूं बिजाई के सीजन के समय लगभग 3 लाख मीट्रिक टन खाद की जरूरत होती है और इस समय स्टॉक के मुताबिक 40 हजार मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है. प्रदेश में इस समय करीब 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की बुआई होनी है जिसके लिए भी डीएपी खाद की जरूरत पड़ेगी. अक्टूबर के आखिर में फिर गेहूं बिजाई का समय शुरू हो जाएगा. ऐसे में स्टॉक के हिसाब से आंकलन किया जाएं तो प्रदेश में डीएपी खाद की कमी से इंकार नहीं किया जा सकता है.

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रॉ मेटेरियल के रेट बढ़े, उत्पादन घटा

हैफेड के राज्य विपणन अधिकारी डॉ पुष्पेन्द्र वर्मा ने कहा कि डिमांड के हिसाब से डीएपी खाद की सप्लाई की जा रही है. पहले सरसों व आलू बिजाई वाले इलाकों को प्राथमिकता दी जा रही है. गेहूं बिजाई के समय तक प्रदेश में डीएपी खाद की आपूर्ति सुचारू रूप से जारी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में डीएपी के रॉ मेटेरियल के भाव बढ़ गए हैं , ऐसे में खाद कंपनियों में डीएपी के उत्पादन में पहले के मुकाबले कमी आई है क्योंकि भारत में 70 फीसदी रॉ मेटेरियल विदेशों से आता है. जिसके चलते इस बार खाद की किल्लत देखने को मिल रही है.

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वहीं खाद की किल्लत को लेकर सूबे के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि खाद कंपनियों की ओर से लगातार आपूर्ति दी जा रही है. पैक्स पर भी खाद उपलब्ध करवाया जा रहा है. किसानों को भी चाहिए कि वो जरुरत और समय के हिसाब से खाद खरीदें ताकि अन्य किसानों को परेशानी ना हो. इसके साथ ही विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक जिले में डिमांड के हिसाब से खाद की आपूर्ति की जाएं.

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