चंडीगढ़ | हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह दिल्ली में पत्नी प्रेमलता के साथ आज कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए है. इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने उन्हें पार्टी का झंडा भेंट किया. वहीं, पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी थी. बता दें, बीरेंद्र सिंह 10 साल बाद घर लौटे हैं. उन्होंने बीजेपी को अलविदा कह दिया और आज कांग्रेस में शामिल हो गए. बीते दिनों ही उनके बेटे बृजेंद्र सिंह करीब एक महीने पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे.
बीरेंद्र सिंह के संबोधन से पहले ही लोगों ने नारे लगाने शुरू कर दिए. इस पर उन्होंने कहा कि पहले मुझे बोलने दो, नहीं तो मैं भूल जाऊंगा. उन्होंने कहा कि आज हमारे कई साथी न सिर्फ हरियाणा से बल्कि दिल्ली से भी यहां आए हैं. भूपेन्द्र हुड्डा न सिर्फ हरियाणा में विपक्ष के नेता हैं, बल्कि 10 साल तक मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. वह मेरी मौसी का बेटे हैं.
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी हमारे लिए परिवारवाद कहती है, अब अगर बहन- भाई भी परिवारवाद में आता है तो मैं क्या कर सकता हूं. उन्होंने कहा कि बीजेपी अपना एक भी नया सदस्य नहीं बना सकी. कांग्रेस ने मुझे जो दिया वो कोई और नहीं दे सकता.
आंदोलन के दौरान मिलने पहुंचे किसान
किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि कुछ किसान भाई मुझसे मिलने आए थे. उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार से बात करें. किसानों ने कहा कि कम से कम एमएसपी की बात तो करें जैसा कि भूपेन्द्र सिंह हुडडा करते हैं. उन्होंने कहा कि इस सरकार में किसानों और गरीबों को कुछ नहीं मिला. इस न्याय के लिए हमने अपने घोषणापत्र के एक- एक बिंदु को देखा है. भाजपा इस हकीकत से कोसों दूर है.
बीजेपी में मचा हड़कंप
बीरेंद्र सिंह (Birender Singh) और उनकी पत्नी प्रेमलता के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर हरियाणा बीजेपी में भी हलचल शुरू हो गई है. चर्चा है कि हरियाणा बीजेपी के 4 से 5 विधायक चौधरी बीरेंद्र सिंह के संपर्क में हैं. संभावना है कि ये विधायक कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. चर्चा है कि नाराज विधायकों को आगामी विधानसभा में टिकट देने का प्रलोभन दिया गया है. सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल भी नाराज विधायकों से लगातार संपर्क में बताए जा रहे हैं.
बीरेंद्र सिंह किसान नेता सर छोटू राम के हैं पोते
जाटों के प्रभुत्व वाले जींद और उससे सटे इलाके को बांगर बेल्ट कहा जाता है और प्रमुख किसान नेता सर छोटू राम के पोते बीरेंद्र सिंह की इस इलाके में मजबूत पकड़ है. बीरेंद्र सिंह के परिवार का भी हिसार क्षेत्र में बड़ा जनाधार है. इस सीट से 2019 में एक बार बीरेंद्र सिंह खुद सांसद रह चुके हैं.
जींद की उचाना सीट से 5 बार विधायक, 2 बार राज्यसभा सांसद और 1 बार लोकसभा सांसद रहे बीरेंद्र सिंह 43 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में शामिल हो गए है. कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह उनके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा के साथ मतभेद थे, लेकिन अब हुड्डा और बीरेन्द्र सिंह एक बार फिर एक दूसरे के बेहद करीब आ गए हैं.
सीएम बनने का सपना अभी तक नहीं हुआ पूरा
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव 1977 में उचाना से लड़ा और भारी मतों से जीतकर विधायक बने. इसके बाद, 1982 में वह दोबारा उचाना से विधायक चुने गए. हालांकि, बीरेंद्र सिंह तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को हिसार लोकसभा सीट से भारी अंतर से हराया था.
यही वह समय था जब बीरेंद्र सिंह जींद से निकले और हिसार तक अपनी छाप छोड़ी. इसके बाद, 1991 में बीरेंद्र सिंह दोबारा उचाना से विधायक बने और 2009 तक लगातार इसी सीट से विधायक रहे.
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