चंडीगढ़ । अब गांवों में सरकारी जमीन पर कब्जे करने वालों की खैर नहीं. अब सरकार गांवों में भी जियो टैगिंग का काम करने जा रही है. बता दें कि सरकार ने प्रदेश के शहर और कस्बों में 40 लाख से भी अधिक भू-संपत्तियों के रिकॉर्ड की जियो टैगिंग का काम पूरा कर लिया है. पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्रों समेत सरकारी भवन और पंचायत से संबंधित जितनी भी भूमि हैं, उसकी जियो टैगिंग करवाने के लिए सरकार ने पंचायत विभाग के अधिकारियों को पिछले दिनों चिट्ठी भेजकर यह कार्य तुरंत शुरू करने के आदेश जारी किए हैं.
अक्सर सरकार को सरकारी भूमि पर लोगों द्वारा कब्जा करने की शिकायतें मिलती रहती है. डिजिटल युग के इस दौर में चीजों में काफी तेजी से बदलाव हो रहा है और काफी क्षेत्रों में निगरानी को भी तकनीक आधारित कर दिया है. सरकारी प्रोजेक्ट्स की निगरानी के लिए भी जियो टैगिंग तकनीक का इस्तेमाल आम बात हो गई है. विभिन्न विभागों के विकास कार्यों की प्रगति जानने के लिए जियो टैगिंग का इस्तेमाल होने लगा है और इसके सकारात्मक रिजल्ट भी सामने आ रहे हैं.
मनरेगा में भी टैगिंग
मिली जानकारी अनुसार राज्य में मनरेगा कार्यों की समीक्षा व सरकारी योजनाओं के तहत होने वाले निर्माण कार्यों की भी जियो टैगिंग तकनीक का इस्तेमाल होने लगा है. इससे स्पष्ट हो रहा है कि कार्य किस गति से चल रहा है और कितनी धनराशि खर्च हो रही है. इस तकनीक से सरकारी कार्यों में होने वाले फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लगेगा.
जियो टैगिंग तकनीक वाले कार्यों को मोबाइल एप्लिकेशन और पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं. इसमें काम शुरू होने से पहले की स्थिति, 50% काम पूरा होने और काम पूरा होने की स्थिति की जानकारी व फोटो पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं. इस तकनीक से सरकारी कार्यों में बरती जाने वाली अनियमितताएं लगभग खत्म हो गई है. पहले के समय में विकास कार्य धरातल पर करने की बजाय कागजों में ही पूरा कर भुगतान किया जाता था. इसलिए अब सरकारी कार्यों में अधिकतर विभाग जियो टैगिंग करवाने लगे हैं. इससे विभाग के कार्यों को मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से कही पर बैठकर भी देखा जा सकता है.
ऐसे समझे तकनीक
जियो टैगिंग तकनीक का मतलब कार्य की भौगोलिक स्थिति, फोटो, मैप और वीडियो के जरिए सम्पूर्ण जानकारी देना है. इससे अक्षांश व देशांतर से उस जगह की लोकेशन सामने आती हैं और गूगल मैप के माध्यम से उस जगह का आसानी से पता लगाया जा सकता है.
जियो टैगिंग तकनीक के इस्तेमाल के बाद अगर कोई व्यक्ति सरकारी जमीन पर कब्जा करता है तो तुरंत जानकारी सरकार के पास पहुंच जाएगी. इस तकनीक से तुरंत यह सामने आ जाएगा कि कितनी भूमि पर कब्जा किया गया है. सरकार की इस योजना से सरकारी कार्यों में गड़बड़ी व सरकारी जमीन पर कब्जे करने वालों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है.
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