चंडीगढ़ | पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से सामाजिक आर्थिक मानदंड के 5 अंकों को रद्द करने के बाद ग्रुप C के विभिन्न ग्रुपों के अंतर्गत नौकरी कर रहे युवाओं की नौकरी पर तलवार लटक गई है. इन युवाओं को 3 महीने पहले जॉइनिंग दी गई थी और अब कोर्ट का फैसला आने के बाद इन्हें अपनी नौकरी की चिंता सता रही है.
3 महीने पहले था खुशी का माहौल
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सामाजिक आर्थिक मानदंड के आधार पर दिए जाने वाले 5 अंकों को संविधान के खिलाफ बताया है और इन्हें रद्द कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि इस प्रकार का विशेष प्रविधान करना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 16 में दिए समानता के अधिकार के खिलाफ है.
ऐसे में सभी ग्रुपों की परीक्षाएं फिर से आयोजित होगी. इसे लेकर युवाओं में चिंता बनी हुई है. 3 महीने पहले जहां खुशी का माहौल था, मिठाइयां बांटी जा रही थी, एक- दूसरे को बधाई दी जा रही थी, तो वहीं अब सबके माथे पर की लकीरें नजर आ रही है.
6 महीने बाद फिर से उठाई किताबें
हाईकोर्ट के फैसले के बाद तृतीय श्रेणी के वर्ग 1 व 2, 56 व 57 के लिए दोबारा परीक्षा होगी. तृतीय श्रेणी के 20 ग्रुप, जिनमें नियुक्तियां दी जा चुकी है, उनकी भी परीक्षा फिर से ली जाएगी. कोर्ट के फैसले के बाद नौकरी कर रहे इन अभ्यर्थियों की नींद उड़ी हुई है. अनेक अभ्यर्थियों ने बताया कि शुक्रवार रात उन्होंने चैन की सांस नहीं ली और पूरी रात जागकर बितायी है. वहीं, 6 महीने बाद शनिवार को ही किताबें उठा ली हैं.
फरवरी महीने में दी गई थी नियुक्ति
ज्यादातर उम्मीदवारों का कहना है कि उन्हें तो इन ढाई और 5 अंक का कोई लाभ नहीं मिला है. ग्रुप सी के जो अभ्यर्थी नौकरी कर रहे हैं, उनकी परीक्षा दिसंबर महीने में हुई थी और उन्हें फरवरी में नियुक्ति दी गई थी.
फैसले के मुताबिक, जो नियुक्तियां हो चुकी हैं उन्हें हटाया नहीं जाएगा, बल्कि वे नौकरी भी करते रहेंगे और 6 महीने के अंदर उनकी परीक्षा ली जाएगी. कोर्ट के इस फैसले से तीन महीने पहले नौकरी पाने वाले 12 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों की न सिर्फ नींद उड़ी है, बल्कि माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही है.
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