चंडीगढ़ | हरियाणा में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है. इसका जवाब देने के लिए सरकार ने सभी विभागों, बोर्ड- निगमों और स्वायत्त संस्थानों से पिछले 44 वर्षों में हुई भर्तियों क़े हिसाब की मांग की है. इसके साथ ही, यह भी पूछा गया है कि वर्ष 2014 की नियमितीकरण पालिसी के तहत कितने कर्मचारियों को पक्का किया गया और कितने कर्मचारी अब भी कच्चे हैं. कच्चे कर्मचारियों को पक्का नहीं करने का कारण क्या रहा है.
सरकार को दाखिल करना है जवाब
योगेश त्यागी बनाम हरियाणा सरकार के मामले में 29 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, जिसके लिए सरकार को जवाब दाखिल करना है. ऐसे में मानव संसाधन विभाग ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्ड- निगमों के प्रबंध निदेशकों और मुख्य प्रशासकों व मंडलायुक्तों को तुरंत प्रभाव से हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC)और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) द्वारा वर्ष 1980 से अब तक की गईं द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी भर्तियों की पूरी जानकारी निर्धारित फार्मेट में देने को कहा है.
इसके तहत, बताना होगा कि 1980 से 2000, 2000 से 2014 और 2015 से 2024 तक एचपीएससी और एचएसएससी के माध्यम से किस वर्ष किस पद के लिए कितने खाली पदों पर भर्तियां की गईं है. क्या विज्ञापन पर रोक या यथास्थिति का कोई अदालती आदेश जारी किया गया था और यदि हां तो कब किया गया था. संविदा और तदर्थ आधार पर नियुक्त कर्मचारियों की संख्या कितनी है और क्या संविदात्मक और तदर्थ नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था.
साल 2014 की नियमितीकरण पालिसी के तहत, कितने कर्मचारियों को पक्का किया गया और उन्हें क्या पारिश्रमिक दिया जा रहा है. कितने कर्मचारियों को पालिसी का लाभ नहीं दिया गया और उन्हें नियमित नहीं किए जाने के पीछे क्या कारण है.
उपलब्ध करवाया गया विभागों का आधा- अधूरा रिकॉर्ड
इससे पहले मानव संसाधन विभाग ने 7 अगस्त, 13 अगस्त और 21 अगस्त को भी पत्र जारी करते हुए सभी विभागों से इस बारे में जानकारी मांगी थी, मगर करीब 3 दर्जन विभागों ने ही रिकार्ड उपलब्ध कराया और वह भी आधा-अधूरा रिकॉर्ड दिया. इस वजह से सुप्रीम कोर्ट में सरकार 22 अगस्त को अपना पक्ष नहीं रख पाई. मानव संसाधन विभाग ने पहले के अनुभव से सबक लेते हुए साफ किया है कि डाटा एकत्र करने के लिए किसी भी विभाग में डिप्टी डायरेक्टर से नीचे के स्तर की ड्यूटी न लगाई जाए.
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